Rajasthan Education News: राजस्थान का शिक्षा विभाग इन दिनों काफी चर्चाओं में है और इसकी वजह आदेश के जारी होने के बाद उससे पलटी मारना है। विभाग ने बीते 7 महीने में 7 फैसलों को वापस ले लिया है। ऐसे में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और मंत्री मदन दिलावर पर सवाल उठने शुरू हो चुके हैं। अब प्रदेश के शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जोधपुर शहर से संघ ने पोस्टर वॉर के जरिए शिक्षा मंत्री पर हमला बोला है।
शहर के प्रमुख चौराहों और होर्डिंग्स पर शिक्षा मंत्री दिलावर पर निशाना साधते हुए कई पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मंत्री का विभाग बदलने की मांग की गई है। इन पोस्टर में शिक्षा मंत्री पर सीधा हमला करते हुए उन्हें ‘पलटूराम’ तक कह दिया गया। संघ का आरोप है कि अगर जल्द ही मदन दिलावर का विभाग नहीं बदला गया तो ये राजस्थान के शिक्षा विभाग को ही पलट देंगे। इस संबंध में राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ, संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक शंभू सिंह मेड़तिया का कहना है कि आज शिक्षा विभाग का हर कर्मचारी और अधिकारी पसोपेश की स्थित में हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के जोधपुर आगमन की सूचना पर शहर में कई जगह पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए गए। हम अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाना चाहते थे। हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री शिक्षामंत्री के कार्य का मूल्यांकन करें। उन्होंने कितने आदेश जारी किए और कितने आदेशों को वापस लिया गया, इसकी समीक्षा हो। आज ऐसी स्थिति हो चुकी है कि विभाग में अभी भी पूर्ववर्ती सरकार के ही आदेश चल रहे हैं। अभी प्रदेश के सैकड़ों शिक्षकों के प्रमोशन होने बाकी हैं। 3700 शिक्षक ऐसे हैं, जिनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है। यह प्रदेश के नौनिहालों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ है।
अब जयपुर में शुरू होगा अभियान
उन्होंने कहा कि जल्द ही जयपुर में पोस्टर अभियान की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत सीएम हाउस मार्ग, शिक्षा संकुल और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर विभाग की नाकामी के पोस्टर लगाए जाएंगे। इसके बाद संघ करीब 6 महीने तक इंतजार करेगा। विभाग नहीं बदलने की स्थिति में शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे और इस आंदोलन को देश की राजधानी दिल्ली तक ले जाया जाएगा। आपको बता दें कि जोधपुर शहर में लगाए गए पोस्टर में राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित ‘ “कनफ्यूज्ड” महकमा बना शिक्षा विभागः सात महीने में सात आदेशों पर मारी पलटी’ खबर का भी जिक्र किया गया था।
ये सात आदेश हुए वापस
ट्रांसफर पॉलिसी: प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद सबसे पहले शिक्षकों की तबादला नीति को 100 दिन की कार्ययोजना में शामिल किया गया। पर संशोधित योजना में इसे वापस ले लिया गया।
अंग्रेजी से हिंदी माध्यम: शिक्षा मंत्री के बयान के बाद शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने के निर्देश जारी किए थे। जिसके लिए 38 बिंदुओं पर सर्वे भी करवाया गया। पर बाद में फैसला वापस ले लिया गया।
मोबाइल पर प्रतिबंध: शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान के बाद शिक्षा विभाग ने 4 मई को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के मोबाइल पर प्रतिबंध लगाया गया। पर पिछले महीने कुछ शर्तों के साथ फिर अनुमति दे दी गई।
6(3) का आदेश: 17 मई को विभाग ने पंचायती राज शिक्षकों की 6(3) कर उनके सेटअप परिवर्तन का कार्यक्रम तय किया। कुछ दिनों बाद ही उसे वापस ले लिया गया।
प्रवेश की आयु: प्रवेशोत्सव से पहले नई शिक्षा नीति का हवाला देकर शिक्षा विभाग ने छह साल के बच्चों का ही प्रवेश करने के आदेश जारी किए थे। पर सरकारी स्कूलों में नामांकन घटने व शिक्षकों के विरोध के बाद विभाग ने फैसला बदलते हुए आंगनबाड़ी के पांच साल के बच्चों के प्रवेश की भी छूट दे दी।
दूध योजना बंद कर चालू की: दूध की सप्लाई प्रभावित होने पर शिक्षा मंत्री ने इसी महीने गहलोत सरकार की बाल गोपाल योजना बंद कर स्कूलों में मोटा अनाज देने की घोषणा की थी। पर बाद में दूध की सप्लाई ही फिर से चालू कर दी गई।
शिक्षकों का समायोजन: प्रदेश की सरकारी स्कूलों में अधिशेष 67 हजार शिक्षकों के समायोजन के लिए हाल में आदेश जारी कर 18 सितंबर से प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी किए गए थे। पर उस आदेश को भी वापस ले लिया गया।