गांवों का विश्वास आज भी शहर पर सरकार गांवों में चिकित्सा सुविधा बेहतरीन करने के लिए अरबों रुपए खर्च कर चुकी हैं, उसके बावजूद अभी तक ग्रामीणों का विश्वास शहर के प्रति है। इसी कारण से भी मातृ एवं शिशु रोग के संस्थान उम्मेद और जनाना विंग में हर रोज डेढ़ सौ प्रसव हो रहे है। वहीं दूसरी ओर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के गायनी व पीडियाट्रिक चिकित्सक लाखों रुपए का वेतन उठा रहे है। हालात यह भी है कि कई उम्मेद और जनाना विंग के अलावा कई चिकित्सा संस्थानों में ऑपरेशन थियेटर भी विकसित नहीं है।
जर्जर हो रही जनाना विंग चार साल पहले मातृ एवं शिशु रोग सेवा को जोधपुर में और अधिक बेहतर और सुविधापूर्ण बनाने के लिए उम्मेद के बाद मथुरादास माथुर अस्पताल में जनाना विंग स्थापित की गई थी, ये जनाना विंग पीडब्ल्यूडी के घटिया निर्माण के कारण चार साल में ही जर्जर होनी लगी है। यहां लेबर रुम और पीडियाट्रिक ओपीडी में पीओपी गिरने जैसी घटनाएं भी हो चुकी है। इसके अलावा कुपोषण उपचार केन्द्र के अंदर कई कक्ष भी जर्जर हो रहे है। गौरतलब है कि जनाना विंग की बिल्डिंग भी बाहर से जर्जर होनी लगी है।
लेबर रूम में दुव्र्यवहार! वहीं अक्सर उम्मेद अस्पताल और एमडीएमएच जनाना विंग में लेबर रुम में प्रसूताओं के साथ दुव्र्यवहार करने का आरोप लगता है। प्रसूताओं और उनके परिजनों का कहना होता है कि अंदर ज्यादा दर्द होने और चिल्लाने पर चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थप्पड़ तक जड़ देते हैं। जो अमानवीय है। इसके अलावा प्रसूताओं पर अनुचित एवं निजी टिप्पणियां भी की जाती है।