किस पौधे का हमारे जीवन पर क्या हो सकता है असर शमी: यह पौधा विजय की प्राप्ति के साथ-साथ कार्य की सिद्धि एवं शनि की साढ़ेसाती या ढैया में भी लाभकारी है ।
श्वेतार्क : रोपने से मांगलिक कार्य में प्रगति, विवाह आदि के योग संतान प्राप्ति व बंधन की बाधा का निराकरण होता है।
अशोक : इस पौधे को रोपने से अज्ञात दोष का निवारण होता है, साथ ही वंश वृद्धि में सहायता होती है।
पीपल : देव स्थान पर विशेषत: भगवान विष्णु और कृष्ण के मंदिर परिसर में रोपने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
नीम : इस पौधे को रोपने से शारीरिक कष्ट एवं चर्म रोग के दोष का निराकरण होता है ।
तुलसी : हरि तुलसी हो या श्याम तुलसी इनको रोपने से घर परिवार में सुख शांति होती है।
बरगद : इस पौधे को रोपने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आंवले : पौधे को रोपने से लक्ष्मी कृपा व सौभाग्य की वृद्धि होती है । जामुन: यह पौधे को रोपने से वायव्य दोष की निवृत्ति व बौद्धिक सक्रियता रहती है ।
आम: पौधे को रोपने से संपत्ति में वृद्धि होती है ।
वनस्पति का कारक है चन्द्रमा भारतीय ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को वनस्पति का कारक ग्रह बताया गया है जो कि चंद्रमा की ही अमृत रोशनी से वनस्पति पुष्ट होती है। संयोग से हरियाली अमावस्या के दिन चंद्रमा अपनी राशि कर्क में रहेंगे, जिसके कारण केंद्र योग बना रहे हैं। यही नहीं शनि भी मकर राशि में चंद्रमा के साथ प्रतियोगी स्थिति में रहेंगे। ऐसी स्थिति में चंद्र व शनि का केंद्र योग रहेगा। यह योग वनस्पति तंत्र में विशेष मान्यता रखता है , क्योंकि ऐसे लोगों में जन्म कुंडली के अंतर्गत उत्पन्न चंद्र शनि की युति का दोष समाप्त करने के लिए इस दिन वनस्पति तंत्र के माध्यम से पौधरोपण करना चाहिए।
नवग्रहों की समिधा में
आंकड़ा-सूर्य पलाश- चंद्रमा
खेर– मंगल अपामार्ग-बुध
पीपल–बृहस्पति गूलर-शुक्र
शमी -शनि (खेजड़ी ) दुर्वा: राहु
दर्भ : पवित्री केतु