वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट में मंजूर हुए इन फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि यह 12 नए प्रोजेक्ट इंडस्ट्रीयल नेकलेस के तौर पर काम करेंगे और जोधपुर का यह सेक्टर इसी नेकलेस का एक भाग होगा। हालांकि तब सरकार ने इन 12 नोड की जगह स्पष्ट नहीं की थी, लेकिन रेलवे के डेडिकेटेड फंट कॉरिडोर और डीएमआईसी का आधार होने के कारण जोधपुर-पाली नोड की प्रबल संभावनाएं थी। केन्द्र सरकार के बजट में यह घोषणा होने पर
राजस्थान पत्रिका ने पहले ही बता दिया था, जोधपुर भी इसमें शामिल हो सकता है।
इस प्रकार होगा फायदा
- 1578 एकड़ में होगा विकसित होगी यह स्मार्ट इंडस्ट्रीयल सिटी।
- 7500 करोड़ का हो सकेगा यहां औद्योगिक निवेश।
- 922 करोड़ में विकसित होगी यह इंडस्ट्रीयल सिटी।
- 40 हजार को मिलेगा प्रत्यक्ष रोजगार।
- 2 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ेंगे।
ये दो लाभ पहले से ही
- रेलवे का डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर इसी मार्ग से गुजर रहा है। रोहट रेलवे स्टेशन इसी का एक पार्ट है, जिसे फ्रंट कॉरिडोर के रूप में उपयोग किया जाएगा। यह इसी इंडस्ट्रीयल सिटी में शामिल है।
- इसी डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर के कारण जोधपुर-पाली मारवाड़ इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर 154 स्क्वायर किलोमीटर के अधीन है।
जेपीएमआईए में पहले यह काम हुआ
वर्ष 2000 में डीएमआईसीडीसी की स्थापना की गई जो कि अब एनआईसीडीसी हो गया है। इसी प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान में पांच नोड प्रस्तावित किए गए। इनमें से एक खुशखेड़ा-नीमराना-भिवाड़ी और दूसरा जोधपुर-पाली मारवाड़ है। इसके पहले चरण में सरकारी जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। दूसरे चरण में निजी खातेदारी की 1086 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहित करने का काम चल रहा है। अब इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर में यह प्रोजेक्ट भी शामिल हो सकेगा।
ये 5 सेक्टर होंगे लाभांवित
- टैक्सटाइल और अपेरल – जोधपुर और पाली जिले में कुल 1000 से ज्यादा टेक्सटाइल इकाइयां हैं। प्रदूषण के दंश और एनजीटी के आदेश के कारण इनका विस्तार नहीं हो सकता। जबकि पश्चिमी राजस्थान से एक्सपोर्ट लेवल का कपड़ा तैयार होता है। यहां से करीब 50 हजार लोगों को रोजगार मिलता है।
- हैंडीक्राफ्ट सेक्टर – जोधपुर के साथ ही जैसलमेर व बाड़मेर में 2000 से ज्यादा हैंडीक्राफ्ट यूनिट हैं। इनमें से 700 इकाइयां एक्सपोर्ट करती हैं। करीब एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। पिछले 20 साल से इन सेक्टर को नया औद्योगिक क्षेत्र नहीं मिला है।
- एग्रो फूड : जोधपुर में 550 और आस-पास के शहरों में करीब 300 एग्रो फूड की इकाइयां हैं। अभी भी पश्चिमी राजस्थान में कृषि जींस और मसाला फसलें 70 प्रतिशत तक गुजरात जाती हैं। इस उद्योग के लिए यह लाभदायक होगा।
- इंजीनियरिंग व ऑटो : सोलर जनरेनशन में नम्बर वन होने के बावजूद यहां इंजीनियरिंग उपकरण का उद्योग नहीं है। राज्य सरकार ने इसी क्षेत्र में सोलर उपकरण हब बनाने की पहल कर रखी है।
- बिल्डिंग मेटेरियल : पश्चिमी राजस्थान में सीमेंट, पत्थर, मार्बल और ग्रेनाइट हब है। बिल्डिंग मेटेरियल किसी एक निश्चित जोन में विकसित नहीं हुआ है, लेकिन नए इंडस्ट्रीयल जोन में इसकी उम्मीद है।