—- इस वर्ष 4 किस्में पास परियोजना के अंतर्गत देश की अलग-अलग सरकारी व निजी कंपनियों से प्राप्त बाजरा की किस्मों का परीक्षण किया जा रहा है। अब तक तीन हजार से ज्यादा किस्मों का परीक्षण किया गया। वहीं गत 10 वर्षो में 76 व इस वर्ष 4 किस्में विकसित की गई।परीक्षण के दौरान पुष्प आने का समय, पकने का समय, पौधों की लंबाई, सिटे की लंबाई-मोटाई, दाने व सूखे चारे की उपज, बीमारी व कीड़ों की सहनशीलता के मापदण्ड, दाने का आकार-वजन आदि का परीक्षण किया जाता है।
— 15 साल का कार्यकाल होता है एक वैरायटी का परियोजना के जोधपुर स्थित केन्द्र पर देशभर की सरकारी व निजी कंपनियां बाजरा के विभिन्न किस्म के सेंपल भेजते है। तीन वर्षो तक परीक्षण में सेंपल के सफल होने पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से गठित सेन्ट्रल वैरायटी रिलीज कमेटी (सीवीआरसी) की ओर से सफल किस्म का अनुमोदन कर केन्द्र सरकार को अनुशंषा के लिए भेजी जाती है, केन्द्र सरकार का अनुमोदन मिलते ही किस्म को विकसित करने के लिए देश के किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। एक किस्म का कार्यकाल 15 वर्ष का होता है।
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