केंद्र सरकार का कहना है कि घरेलू समस्या, बीमारी और वित्तीय समस्याएं जवानों की आत्महत्याओं के पीछे मुख्य कारण माने जा रहे हैं। आत्महत्या और मुठभेड़ के अलावा 2015 से 2020 के बीच हादसों में भी अद्र्धसैनिक बलों ने 1764 जवानों को खोया है।
जवानों का तनाव दूर करने और आत्महत्या के मामलों पर अंकुश के लिए सरकार विभिन्न पेशेवर एजेंसियों की मदद लेती है। आइआइएम अहमदाबाद ने भी इसमें अध्ययन करने के बाद कुछ उपाय बताए, लेकिन आत्महत्याओं का सिलसिला अब भी बना हुआ है।
दो दिन पहले जोधपुर की ओसियां तहसील के मातोड़ा निवासी बीएसएफ जवान बाबूलाल चौधरी ने त्रिपुरा में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। चौधरी त्रिपुरा के पहरामपुरा बॉर्डर पर तैनात थे। उन्होंने अलसुबह 5 बजे उन्होंने खुद की सर्विस राइफल से गोली मार ली। ड्यूटी के दौरान स्वयं को गोली मार ली। बीएसएफ ने आत्महत्या के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं।
बल ————– आत्महत्या ———- मुठभेड़
असम राइफल्स —— 52 ———– 53
बीएसएफ —— 180 ———– 43
सीआरपीएफ —— 236 ———–218
सीआईएसएफ —— 100 ———–0
आईटीबीपी —— 46 ———– 0
एसएसबी —— 66 ———– 9
इतने लोगों की हादसों में गई जान
बल ————– मृतक संख्या
असम राइफल्स —— 104
बीएसएफ —— 543
सीआरपीएफ —— 638
सीआईएसएफ —— 212
आईटीबीपी —— 148
एसएसबी —— 119
…………………… पांच साल में जान गंवाने वाले जवान
बल ————– मारे गए जवान
असम राइफल्स —— 785
बीएसएफ —— 2609
सीआरपीएफ —— 2329
सीआईएसएफ —— 1391
आईटीबीपी —— 802
एसएसबी —— 460