शहर ही अधिकतर पीएचसी पर विशेषज्ञ सहित कुछ जगह सर्जन भी तैनात है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब यहां पर प्रसव करवाए ही नहीं जा रहे हैं तो वहां पर विशेषज्ञों की ड्यूटी क्यों लगा रखी है। ऐसे विशेषज्ञों को ग्रामीण पीएचसी या सीएचसी में भेजा जाना चाहिए, ताकि वहां के मरीजों को इलाज सुलभ हो सकें।
-जोधपुर मे सभी 22 शहरी पीएचसी पर प्रसव के लिए संसाधन व सुविधा है, लेकिन प्रसव कराने की बजाय प्रसव पीड़ा वाली महिलाओं को तत्काल उम्मेद व एमडीएम अस्पताल के लिए रेफर किए जा रहे हैं। जबकि कुछ शहरी पीएचसी पर सर्जरी, गायनिक के विशेषज्ञ चिकित्सक भी तैनात है।
-शहर के प्रतापनगर व चौपासनी सेटेलाइट अस्पताल में सर्जरी व गायनिक के विशेषज्ञ तैनात है, लेकिन प्रसव नाममात्र के भी नहीं हो रहे हैं। मंडोर सेटेलाइट से भी अधिकतर केस रेफर किए जा रहे हैं।
-शहरी पीएचसी सहित बनाड़ सीएचसी पर क्रिटिकल स्थिति वाली महिलाओं को ही रेफर किया जाना चाहिए। शेष सभी प्रसूति वहीं पर करवाई जानी चाहिए। जब इन अस्पतालों में सर्जन तैनात है तो माइनर सर्जरी भी यहां पर ही की जा सकती है।
-शहर के सेटेलाइट व जिला अस्पतालों में प्रसवों की सुविधा को बढ़ाया जाना चाहिए।
शहर के चौपासनी व प्रतापनगर मेंं सैटेलाइट अस्पताल है, लेकिन यहां पर भी प्रसव की संख्या शून्य के बराबर है, जबकि मंडोर में प्रसव भी संतोषजनक तरीके से नहीं करवाए जा रहे हैं। जबकि यहां पर गायनिक विशेषज्ञ तैनात है। अधिकतर केसों में महिलाओं को हायर सेन्टर के नाम पर उम्मेद अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है।
-22000 प्रसव हर साल उम्मेद अस्पताल में करवाए जा रहे हैं।
-60 से 70 प्रसव प्रतिदिन उम्मेद अस्पताल में हो रहे हैं।
सैटेलाइट व जिला अस्पतालों में प्रसव सुविधाओं को बढ़ाने से उम्मेद अस्पताल व एमडीएम जनाना विंग का लोड कम हो सकता है। साथ ही शहर की कुछ पीएचसी का चयन कर वहां पर प्रसव शुरू करवाने के प्रयास किए जाएंगे। ताकि बड़े अस्पतालों का लोड कम हो सके।