scriptAchalnath Mahadev Temple: गाय आकर रेतीले धोरों पर बहाती थी दूध की धारा, नागा साधुओं ने जगह को खोदा तो हुआ चमत्कार | Know the more about Achalnath Mahadev Temple of Jodhpur | Patrika News
जोधपुर

Achalnath Mahadev Temple: गाय आकर रेतीले धोरों पर बहाती थी दूध की धारा, नागा साधुओं ने जगह को खोदा तो हुआ चमत्कार

नागा साधुओं को एक गाय रोजाना उस स्थान पर आती है और रेत के धड़े पर खड़े होकर दूध की धारा बहाती है। नागा साधुओं को आश्चर्य हुआ उन्होंने उस स्थान को खोदा तो एक शिवलिंग निकला।

जोधपुरMay 24, 2023 / 04:14 pm

Rakesh Mishra

01_6.jpg
राजस्थान के जोधपुर शहर के कटला बाजार स्थित शहर का प्राचीन प्रसिद्ध अचलनाथ महादेव मंदिर (Achalnath Mahadev Temple) वर्षो से श्रद्धालुओं का आस्था का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। बुधवार को अचलनाथ महादेव मंदिर का 505वां पाटोत्सव मनाया जाएगा। ऐसी किवदंती है कि यह मंदिर श्मशान भूमि व रेत के धोरों पर बना हुआ है। इस मंदिर के स्थान पर झाड़ियां व रेत के धोरे थे। इस भूमि पर कुछ नागा साधु घूमते-घूमते आए और यहां धूणा लगाकर रहने लगे। उन्होंने देखा कि एक गाय रोजाना उस स्थान पर आती है और रेत के धड़े पर खड़े होकर दूध की धारा बहाती है। नागा साधुओं को आश्चर्य हुआ उन्होंने उस स्थान को खोदा तो एक शिवलिंग निकला। नागा साधुओं ने उस शिवलिंग के चारों ओर एक कोटड़ी बना दी और शिवलिंग की पूजा करने लगे। इस मंदिर का निर्माण मारवाड़ के तत्कालीन राव गांगा की रानी सिरोही के राव जगमाल की पुत्री नानक देवी ने संवत 1588 ज्येष्ठ सुदी पंचमी तदनुसार 21 मई 1531 को करवाया था। इस मंदिर के पास एक बावड़ी भी बनवाई, जो उस समय गांगा बावड़ी के नाम से प्रसिद्ध थी।
12 महंतों की समाधियां

इस मंदिर में 12 महंतों की समाधियां है। इनमें से 3 जीवित समाधि है। मंदिर परिसर में दुर्गापुरी, दौलतपुरी व चैनपुरी नागा साधुओं की जीवित समाधि हैं। वहीं अन्य नागा साधुओं की समाधियां भी है। गर्भ गृह के सामने चबूतरे पर यह समाधियां स्थित है।
गर्भ गृह में दो शिवलिंग व शिव परिवार

मंदिर के नवनिर्माण में नेपाली बाबा का योगदान रहा। नेपाली बाबा की बनाई मंदिर निर्माण की डिजाइन व नव निर्माण योजना में मंदिर को एक नया रूप दिया। मंदिर के गर्भ गृह में माता पार्वती की श्वेत संगमरमर की आदमकद भव्य कलात्मक मूर्ति स्थापित है। साथ ही गणेश और कार्तिकेय की नवीन प्रतिमाएं स्थापित है। गर्भ ग्रह में दो शिवलिंग है एक अचलनाथ व दूसरा नर्बदेश्वर शिवलिंग है। मंदिर के वर्तमान व 16वें महंत संत मुनेश्वर गिरी है व व्यवस्थापक कैलाश नारायण है।
ऐसे पड़ा अचलेश्वर महादेव का नाम

इस चमत्कारिक शिवलिंग की सूचना राव गांगा के पास पहुंची तो वह शिवलिंग का दर्शन करने आए। उन्होंने मन ही मन में संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। कुछ माह बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई और भगवान शिव के आशीर्वाद से उन्हें अनेक पुत्र हुए। इस चमत्कार से राव गांगा की रानी ने इस स्थान पर मंदिर बनाने का निर्णय लिया। उस समय महंत परंपरा की चौथी पीढ़ी में महंत चैनपुरी थे। राव गांगा ने महंत चैनपुरी से इस शिवलिंग को नीचे के स्थान से हटाकर ऊंचे स्थान पर स्थापित करने का कहा। कोटड़ी में स्थित शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया गया, किंतु हटना तो दूर शिवलिंग हिला तक नहीं। महंत चैनपुरी ने अपनी जटाओं से बांधकर शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया, किंतु विफल रहे। उसी रात राव गांगा को स्वप्न में आदेश हुआ कि मुझे इस स्थान से मत हटाओ। मैं अचल हूं, स्वप्न के आदेशनुसार इसी स्थान पर मंदिर बनाया गया और इस शिवलिंग का नाम अचलनाथ, अचलेश्वर महादेव रखा गया।

Hindi News / Jodhpur / Achalnath Mahadev Temple: गाय आकर रेतीले धोरों पर बहाती थी दूध की धारा, नागा साधुओं ने जगह को खोदा तो हुआ चमत्कार

ट्रेंडिंग वीडियो