नहीं मिल पाता त्वरित रिलीफ
गौरतलब है कि फलोदी से जोधपुर तक का सफर तीन घंटे का है और उपचार मिलने में पांच घंटे का समय व्यतीत हो जाता है। ऐसे में हार्ट अटैक की आशंका में रोगी के दिल में बैठे भय को रोकना बड़ी दुविधा का कारण बन रहा है। यही कारण है कि ईसीजी में दिक्कत आते ही पीड़ित हार्ट का रोगी बन जाता है। अगर यहां विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति हो तो ना केवल दिल की बीमारी थम सकती है, बल्कि जोधपुर रैफर के भय से मुक्ति मिल सकती है।नहीं आ रही तकनीक काम
गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने हार्ट अटैक से मानव जीवन बचाने के लिए तकनीक तैयार की है, लेकिन इस तकनीक का उपयोग कर मानव जीवन को बचाने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों का फलोदी में नहीं होने से बेहतर चिकित्सा सुविधा व तकनीक का लाभ यहां के रोगियों को नहीं मिल पा रहा है। जिससे हार्ट अटैक की दुविधा व चैस्ट में पैन से अधिकतर कैसेज में जीवन की डोर बीच राह में थम जाती है।फलोदी व जोधपुर के बीच हो दो कॉर्डियोलोजिस्ट
कोविड के बाद से फलोदी व सीमावर्ती हार्ट अटैक के मामले बढे है, ऐसे में फलोदी व जोधपुर के बीच दो कॉर्डियोलोजिस्ट होने चाहिए। तभी आमजन का जीवन बचाना सम्भव हो सकेगा। फलोदी में तो हार्ट विशेषज्ञ चिकित्सक की नितान्त आवश्यकता है।कोविद बाद मामले बढे
कोविड के बाद से हार्ट अटैक की दुविधा बढ़ी है. लेकिन फलोदी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्तियां नहीं की गई है। अब क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व राज्य सरकार से जल्द समस्या खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही हैं।बुजुर्गो को अधिक दुविधा
बुजुर्ग लोगों को उपचार के लिए मजबूरी है। सीमावर्ती फलोदी जिला अस्पताल में कॉर्डियोलॉजिस्ट, फिजीशियन, नेत्र रोग विशेषज्ञ व एनेस्थेसिया जैसे चिकित्सकों की नितान्त आवश्यकता है।घनश्याम थानवी पहलवान, पूर्व मिस्टर राजस्थान
अब इंतज़ार होगा पूरा
लम्बे समय से खल चिकित्सकों कमी का इंतजार अब पूरा होने वाला है। चिकित्सकों की नियुक्ति कुछ ही दिनों में होने की उम्मीद है। इससे गंभीर रोग से पीड़ित स्थानीय लोगों को इलाज के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा।सुनिल बुरड़, भाजपा नेता