यह दुख बताते हुए सेना से सेवानिवृत्त हो चुके जैसलमेर जिले में चोक निवासी डूंगरसिंह का गला भर आया और आगे शब्द नहीं निकल पाए। उनका मंझला पुत्र सुरेन्द्रसिंह हादसे में झुलसे तीन-चार लोगों को बचाने के बाद झुलस गया था और शनिवार को उसकी मौत हो गई थी।
जोधपुर: दूल्हे के परिवार में पांच की मौत, विलाप करते परिजन, भुंगरा गांव में पसरा मातम
जिले के शेरगढ़ थानान्तर्गत भुंगरा गांव में गत 8 दिसम्बर की दोपहर सुरेन्द्रसिंह की बारात रवानगी से कुछ देर पहले आग लग गई थी और गैस के दो सिलेण्डर फट गए थे। दूल्हे का भतीजा रतनसिंह व भतीजी खुशबू जिंदा जल गए थे। 61 लोग झुलस गए थे।
इनमें से 52 जनों को महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 9 दिसम्बर को दो महिला व तीन बच्चियों सहित छह जनों की और मृत्यु हुई थी। दस दिसम्बर को दूल्हे की बड़ी मां व मौसेरे भाई सुरेन्द्र सहित चार और जनों की मौत हो गई थी। 43 जनें अभी भी भर्ती हैं। रविवार को कोई मृत्यु न होने से सभी ने राहत की सांस ली।
जिस घर में कल गूंज रहे थे मंगल गीत, आज वीरान आंगन में थी दो मासूमों की देह
गांव में रहने वाले रिश्तेदार सज्जनसिंह का कहना है कि सुरेन्द्र के पिता डूंगरसिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं। सुरेन्द्र के दो और भाई व एक बहन भी हैं। मां का कुछ साल पहले निधन हो गया था। जबकि इकलौती बहन के पति का हार्ट अटैक से निधन हुआ था। उसके भी दो बेटे हैं। बहन जस्सु कंवर व छोटा भांजा कुलदीपसिंह भी एमजीएच में भर्ती हैं। आग से झुलसने पर बड़े भांजे ने जैकेट उतारकर फेंक दी थी और फिर खुद भाग गया था। जिससे उसकी जान बच गई थी।