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जोधपुर में बह रही है उल्टी गंगा, दो साल में एक हजार रोगी AIIMS से MDM hospital में हुए रैफर

डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में इससे संबद्ध एमजीएच और उम्मेद अस्पताल सहित संभाग भर के जिला व सामुदायिक अस्पतालों से रैफर होकर मरीज आते हैं। उम्मेद अस्पताल में तो एक बैड पर दो-तीन बच्चों का इलाज किया जाता है।

जोधपुरDec 26, 2019 / 05:19 pm

Abhishek Bissa

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जोधपुर में बह रही है उल्टी गंगा, दो साल में एक हजार रोगी AIIMS से MDM hospital में हुए रैफर

जोधपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) देश का एक बड़ा चिकित्सा ब्रांड है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। गत दो साल में करीब 1 हजार रोगी एम्स से एमडीएम अस्पताल में रैफर किए गए हैं। रैफर किए गए रोगियों में ज्यादातर ट्रोमा, मेडिसिन और आइसीयू के हैं। एम्स प्रशासन पूर्व में ही कह चुका है कि उनका अस्पताल अभी विकसित हो रहा है। यहां आइसीयू समेत अन्य वार्डों में बैड की कमी है।
एम्स में आइसोलेसन वार्ड की सुविधा नहीं है। ऐसे में स्वाइन फ्लू रोग की पुष्टि होने पर एम्स मरीज को एमडीएम अस्पताल रैफर करता है। एम्स ने कांगो फीवर रोगियों को रखने से इनकार कर दिया था। हालांकि इस बात को लेकर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से विवाद के बाद कांगो फीवर रोगियों को एम्स में ही रखना पड़ा था।
इधर, रैफर नहीं करने की नीति
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में इससे संबद्ध एमजीएच और उम्मेद अस्पताल सहित संभाग भर के जिला व सामुदायिक अस्पतालों से रैफर होकर मरीज आते हैं। उम्मेद अस्पताल में तो एक बैड पर दो-तीन बच्चों का इलाज किया जाता है। एमडीएम व एमजीएच में कई बार बैड खाली न होने पर जमीन पर बिस्तर लगाकर मरीजों का इलाज कर दिया जाता है।
एम्स के आइसीयू में बैड
एआइसीयू- 6
पीआइसीयू- 5
एनआइसीयू- 5

एमडीएम के आइसीयू में बैड
ट्रोमा आइसीयू- 14
मेडिकल आइसीयू- 12
सर्जिकल आइसीयू- 8
कार्डियक थोरेसिक आइसीयू- 8
पीआइसीयू- 14

हम उतने ही रोगी रखते हैं जिनकी उचित देखभाल कर सकें
हमारी पॉलिसी एक रोगी-एक बिस्तर की है। हम रोगी देखभाल का स्टैण्डर्ड को बनाए रखना चाहते हैं। हमारे पास बैड और विशेषज्ञ उपलब्ध होने पर ही रोगी लेते हैं।
– डॉ. अरविंद सिन्हा, अधीक्षक, एम्स जोधपुर
हमारी नीति सभी को मिले चिकित्सा
हम किसी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं करते। किसी को चिकित्सा सुविधा से वंचित करना भी उचित नहीं है।
– डॉ. महेन्द्र आसेरी, अधीक्षक, एमडीएमएच

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