वर्ष 2007 में जिले के सबसे बड़े जसवंतसागर बांध की पाल टूट जाने से बांध में भरा पानी कई दिनों तक इतने वेग से बहा कि बाणगंगा से गुजरती बांध की जल वितरिकाओं को ध्वस्त कर दिया ।जिससे बांध के पानी से जिन 13 गांवों की हजारों बीघा जमीन में पिलाई होती थी, वह सभी नहरें भी नहीं बची।
विभाग हुआ सक्रिय बारह वर्ष बाद पहली बार जल संसाधन उपखंड के सहायक अभियंता ने जिला प्रशासन को बांध से जुड़ी जलवितरिकाओं, टूटी नहरों, नदी के बहाव में आए अवरोधों को लेकर अवगत कराया । जिसे जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने गंभीरता से लिया और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देशानुसार जल संसाधन विभाग ने सभी छह पंचायत क्षेत्रों से गुजरने वाली वह नहर जिसके माध्यम से 13 गांवो की 28 हजार 693 बीघा जमीन की पिलाई होती रही है, के लिए 3 करोड़ 37 लाख 49 हजार रुपए की राशि के प्रस्ताव तैयार किए हैं। यह राशि इन छह पंचायतों के माध्यम से मनरेगा के तहत कार्य करवाकर खर्च की जाएगी।
जिला प्रशासन जसवंत सागर बांध से जुड़ी नहरों के पुनरुद्धार के लिए गंभीर है। आरडी 0 – 74 से आरडी 800 तक नए सिरे से नहर का पुनरुद्धार करवाया जाएगा । कई स्थानों पर पक्के कार्य भी कराया जाना है।