कुछ रेस्टोरेंट भी शामिल पुलिस-प्रशासन से बचकर
जोधपुर में हुक्का बार कई वर्षों से धड़ल्ले से चल रहा है। शहर में कुछ रेस्टोरेंट मालिकों द्वारा खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर नशे का कारोबार किया जा रहा है। युवाओं को दिग्भ्रमित कर नशे की तरफ धकेला जा रहा है, जबकि म्युनिसिपल एक्ट के अनुसार ईटिंग प्वॉइंट के अंदर हुक्का बार नहीं चलाया जा सकता। कई हुक्का बार की आड़ में युवा अन्य नशीले पदार्थों का भी सेवन कर रहे हैं। पुलिस की मिली भगत से ऐसे ठिकानों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है।
ऐसे चलता नेटवर्क नाम नहीं छापने की शर्त पर एक छात्र ने बताया कि हम लोग व्हाट्स एप के जरिए अपने दोस्तों को हुक्का बार में एकत्र होने का मैसेज देते हैं। कई बार इसके लिए कोडवर्ड का प्रयोग किया जाता है, तो कई बार इसके लिए सिर्फ हुक्के का फोटो भेजकर जगह का नाम लिखकर मैसेज किया जाता है। छात्र ने बताया कि कोड वर्ड में हुक्के को शीशा कहा जाता है। शीशे तक युवाओं की पहुंच बहुत आसान है। रेगुलर शीशे के लिए उन्हें 300 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। प्रीमियर शीशे के लिए 425 रुपए और पर्ल कंबो शीशे का रेट 555 रुपए है।
महंगा शौकगांव की पंचायत में बड़े बुजुर्ग तबाकू से भरा हुक्का गुडग़़ुड़ाते हैं, लेकिन जोधपुर के युवाओं में हुक्के में इस्तेमाल होने वाली फ्लेवर्ड टिकिया खासी चर्चित है। कुछ लोग तो इस टिकिया की जगह, नशे वाली टिकियों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते। युवाओं के बीच रखे कांच के हुक्का से उठता धुआं हुक्के के प्रति युवाओं के क्रेज को बयां करता है। हालांकि हुक्के में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू की कई वैरायटी हैं। ढाई सौ से दो हजार रुपए खर्च कर किसी भी ***** में फ्लेवर्ड हुक्के का आंनद लिया जा सकता है।
फ्लेवर में नशे का अवैध तड़का ठंडा एहसास कराने के लिए तंबाकू में मिंट का फ्लेवर मिलाया जाता है । मीठे-कसैले स्वाद के लिए तम्बाकू में फलों का फ्लेवर भी मिलाया जाता है।
ठंडे और गर्म असर के लिए दो फ्लेवरों का मिश्रण कर कश लिया जाता है।रोमेंटिक मूड के नाम पर आडू या संतरे के फ्लेवर वाला तंबाकू डाला जाता है। नहीं दिया जवाब
हुक्का बार में हो रहे नशे को लेकर जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएस चौधरी से सवाल-जवाब किए गए तो उन्होंने जवाब देने में व्यस्तता बताई। उन्होंने कहा कि वे अभी व्यस्त है, इसलिए अभी कुछ नहीं बता सकते।