दोनों कानों में हियरिंग प्रॉब्लम के बाद भी हालात से हार नहीं मानी। हिमांशु ने बताया कि कम सुनने की वजह से कई लोग मुझे उल्हाना देते थे, लेकिन परिवार के सहयोग से मैं आगे बढ़ता रहा। पढ़ाई के दौरान ठीक से सुन नहीं पाने के कारण आसपास बैठे साथियों की कॉपियों को देखकर नोट्स लिखने का सिलसिला चलता रहा। कई बार लगा कि बड़े अधिकारियों के बीच काम करने में परेशानी होगी, लेकिन अधिकारियों और स्टाफ की सहायता से मुझमें आत्मविश्वास आया और मैं खुशी और नए उत्साह के साथ कार्य करने लगा।
सिंगल पैरेंट होकर भी पाया मुकाम
2010 में एक्सीडेंट में पति की मृत्यु के बाद अपने ढाई साल के बेटे और साढ़े पांच साल की बेटी की जिम्मेदारी अनीता पर आ गई। बच्चों की जिम्मेदारी के साथ पार्लर का काम किया। परिवार के सहयोग और बच्चों के हौसले से कई सालों बाद फिर से पढ़ाई की और रीट की परीक्षा दी। सितंबर 2023 में थर्ड ग्रेड टीचर के पद पर नियुक्त हुईं। अनीता बताती हैं कि 2010 में जीवन बदल सा गया था, लेकिन बच्चों के भविष्य को देख जीवन में आगे बढ़ी और काम के साथ बच्चों को भी पढ़ाया।
2010 में एक्सीडेंट में पति की मृत्यु के बाद अपने ढाई साल के बेटे और साढ़े पांच साल की बेटी की जिम्मेदारी अनीता पर आ गई। बच्चों की जिम्मेदारी के साथ पार्लर का काम किया। परिवार के सहयोग और बच्चों के हौसले से कई सालों बाद फिर से पढ़ाई की और रीट की परीक्षा दी। सितंबर 2023 में थर्ड ग्रेड टीचर के पद पर नियुक्त हुईं। अनीता बताती हैं कि 2010 में जीवन बदल सा गया था, लेकिन बच्चों के भविष्य को देख जीवन में आगे बढ़ी और काम के साथ बच्चों को भी पढ़ाया।
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