Biparjoy Storm: भूलकर भी ना करें ये गलती, वरना आपके बैंक अकाउंट को खाली कर देगा चक्रवाती तूफान, जानिए कैसे
दरअसल आजादी के बाद राजस्थान में पहला विधानसभा चुनाव सामंती खौफ के बीच संपन्न हुआ। राजा-महाराजा और सामंतों ने न केवल अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली, बल्कि तलवारें म्यान में रखकर बड़ी संख्या में चुनावी जंग में कूद पड़े। कांग्रेस ने बड़ी मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा पार किया, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए लोकनायक जयनारायण व्यास के दो जगह से चुनाव हार जाने से मुश्किल बढ़ गई। बाद में उपचुनाव जीतकर 1 नवम्बर 1952 को फिर मुख्यमंत्री बने।
Weather Alert: आज रौद्र रूप दिखाएगा चक्रवाती तूफान, रेड अलर्ट जारी, इस रफ्तार से चलेंगी तूफानी हवाएं
लोकनायक जयनारायण व्यास ने मुख्यमंत्री रहते हुए दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगह बुरी तरह हार गए। जोधपुर सिटी बी विधानसभा क्षेत्र से उनके सामने महाराजा हनवंत सिंह चुनाव में उतर गए। सिंह को 11,786 मत मिले, जबकि व्यास को केवल 3,159 वोट ही मिल पाए। जालोर ए विधानसभा क्षेत्र से व्यास के सामने जागीरदार माधोसिंह को उतारा गया। यहां सिंह को 12,896 मत मिले और व्यास को केवल 3,712 वोट ही मिल पाए। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन व्यास मुख्यमंत्री नहीं बने।
नहीं बनती कांग्रेस की सरकार राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले विधानसभा चुनाव में संख्याबल के लिहाज से कांग्रेस की कोई मजबूत स्थिति नहीं थी। लिहाजा महाराजा हनवंत सिंह की हादसे में मौत नहीं होती तो न केवल कांग्रेस की सरकार बनने में बाधा आती, बल्कि कांग्रेस की टूट से हनवंत सिंह के भी सरकार बना लेने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था। कांग्रेस 160 में से 82 सीटों मेंं जीत पाई, जबकि सामंती प्रभाव वाली पार्टियां और निर्दलीय विधायकों की संख्या 78 थी।
चुनाव के मुख्य बिंदू – विधानसभा में कुल सीटें : 160 – कुल मतदाता : 76,76,419 – मतदान किया : 33,36,850 – वैध मत की संख्या : 32,61,442 – अवैध मत : 75,408