scriptहनवंत सिंह की 100वीं जयंतीः चुनाव में मिली जीत का जश्न भी ना मना सके, प्लैन क्रैश में हुई मौत | Hanwant Singh died in a plane crash | Patrika News
जोधपुर

हनवंत सिंह की 100वीं जयंतीः चुनाव में मिली जीत का जश्न भी ना मना सके, प्लैन क्रैश में हुई मौत

महाराजा हनवंत सिंह की हादसे में मौत नहीं होती तो न केवल कांग्रेस की सरकार बनने में बाधा आती, बल्कि कांग्रेस की टूट से हनवंत सिंह के भी सरकार बना लेने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था

जोधपुरJun 16, 2023 / 12:21 pm

Rakesh Mishra

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जोधपुर। आज महाराजा हनवन्त सिंह की 100वीं जयंती है। इस मौके पर शहर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। वहीं हनवंत सिंह की जयंती पर एक बार फिर 1952 का विधानसभा चुनाव का पल याद आ गया, जब वे अपनी जीत का जश्न भी नहीं मना पाए और प्लैन क्रैश में उनकी मौत हो गई। हनवंत सिंह का जन्म 16 जून, 1923 को हुआ जबकि उनका देहांत 26 जनवरी, 1952 को हुआ। वे अपने जीवन के 29 साल भी पूरे नहीं कर सके।
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दरअसल आजादी के बाद राजस्थान में पहला विधानसभा चुनाव सामंती खौफ के बीच संपन्न हुआ। राजा-महाराजा और सामंतों ने न केवल अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली, बल्कि तलवारें म्यान में रखकर बड़ी संख्या में चुनावी जंग में कूद पड़े। कांग्रेस ने बड़ी मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा पार किया, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए लोकनायक जयनारायण व्यास के दो जगह से चुनाव हार जाने से मुश्किल बढ़ गई। बाद में उपचुनाव जीतकर 1 नवम्बर 1952 को फिर मुख्यमंत्री बने।

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लोकनायक जयनारायण व्यास ने मुख्यमंत्री रहते हुए दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगह बुरी तरह हार गए। जोधपुर सिटी बी विधानसभा क्षेत्र से उनके सामने महाराजा हनवंत सिंह चुनाव में उतर गए। सिंह को 11,786 मत मिले, जबकि व्यास को केवल 3,159 वोट ही मिल पाए। जालोर ए विधानसभा क्षेत्र से व्यास के सामने जागीरदार माधोसिंह को उतारा गया। यहां सिंह को 12,896 मत मिले और व्यास को केवल 3,712 वोट ही मिल पाए। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन व्यास मुख्यमंत्री नहीं बने।


नहीं बनती कांग्रेस की सरकार

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले विधानसभा चुनाव में संख्याबल के लिहाज से कांग्रेस की कोई मजबूत स्थिति नहीं थी। लिहाजा महाराजा हनवंत सिंह की हादसे में मौत नहीं होती तो न केवल कांग्रेस की सरकार बनने में बाधा आती, बल्कि कांग्रेस की टूट से हनवंत सिंह के भी सरकार बना लेने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था। कांग्रेस 160 में से 82 सीटों मेंं जीत पाई, जबकि सामंती प्रभाव वाली पार्टियां और निर्दलीय विधायकों की संख्या 78 थी।
हनवंत सिंह व जुबैदा की मौत, जश्न से पहले मातम

जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह ने जोधपुर लोकसभा तथा जोधपुर बी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर चुनाव मैदान में उतरे हनवंत ने मतगणना के दौरान लोकसभा तथा विधानसभा क्षेत्र से अपनी बढ़त से खुश होकर जुबेदा के साथ प्लेन से उड़ान भरी। इस दौरान प्लेन क्रैश में दोनों की मौत हो गई। परिणाम सुनने के लिए वे जिंदा नहीं रहे। उनके निधन के बाद देश में लोकसभा का पहला उपचुनाव हुआ, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी जसवंत सिंह मेहता विजयी रहे। बाद में मेहता कांग्रेस में आ गए और उन्होंने दूसरी लोकसभा का चुनाव कांग्रेस से लड़ा और जीते। हनवंत सिंह का पहला विवाह 1943 में ध्रांगदा की राजकुमारी कृष्णा कुमारी से हुआ। वे जून 1947 में जोधुपर के महाराजा बने।

चुनाव के मुख्य बिंदू

– विधानसभा में कुल सीटें : 160

– कुल मतदाता : 76,76,419

– मतदान किया : 33,36,850

– वैध मत की संख्या : 32,61,442

– अवैध मत : 75,408
– वोट पड़े : 36.69 प्रतिशत

– कितने सीटों निर्विरोध निर्वाचन हुआ : 7 सीटों पर

– उम्मीदवार मैदान में थे : 616

– सबसे बड़ी पार्टी जीती : कांग्रेस

– किसकी सरकार बनी : कांग्रेस
– विपक्ष की कुल सीटें : 78

– कितनी महिला प्रत्याशी जीती

प्रथम विधानसभा चुनाव में कोई भी महिला प्रत्याशी जीतकर विधानसभा नहीं पहुंची, लेकिन उपचुनावों में बांसवाड़ा से यशोदा देवी (1953)) तथा कमला बेनीवाल (1954) में चुनाव जीती
– पहले आम चुनाव में चुनाव अधिकारियों को भी फील्ड में जाने के लिए साइकिल और ऊंटगाड़ियां मिलीं थी।

– प्रचार में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया।

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