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जोधपुर

गोली मारने वालों का दस दिन बाद भी सुराग नहीं, जोधपुर पुलिस में अब भी शूटर का खौफ!

अंधेरा होने से पहले ही शहर में जगह-जगह नाकाबंदी के साथ शुरू होती है जांच
 

जोधपुरSep 27, 2017 / 09:37 am

Vikas Choudhary

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जोधपुर .
शहर के सबसे व्यस्ततम बाजार में से एक सरदारपुरा सी रोड पर रंगदारी के लिए मोबाइल व्यवसायी वासुदेव इसरानी की गोली मारकर की गई हत्या को दस दिन बीत चुके हैं। चारों बदमाशों के पकड़ में आना तो दूर, पुलिस उनका सुराग तक नहीं लगा पाई है। इनकी धरपकड़ के लिए एसओजी व जोधपुर पुलिस के साथ ही पंजाब-हरियाणा की पुलिस भी अंधेरे में तीर चला रही है। पुलिस को अंदेशा है कि सुरक्षा व्यवस्था में थोड़ी सी ढिलाई नजर आते ही लॉरेंस के गुर्गे शहर में कहीं फिर से गोली न चला दें। यही वजह है कि पिछले दस दिन से पूरे कमिश्नरेट क्षेत्र में अंधेरा होने के साथ रात बारह बजे तक जगह-जगह हथियारबंद नाकाबंदी की जा रही है।
सात माह में कुछ दिनों के अंतराल में हुई फायरिंग


अवैध वसूली के लिए दहशत फैलाने के मकसद से शहर में दो मार्च से अब तक छह बार फायरिंग और एक बार फायरिंग की कोशिश हो चुकी है। इसके अलावा ट्रैवल्स मालिक, व्यवसायी, चिकित्सक व अधिवक्ता तक को रुपए न देने पर जान से मारने के धमकी भरे कई कॉल आ चुके हैं। फायरिंग व धमकी के कुछ दिन बाद तक पुलिस चाक-चौबंद रहती है, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है। इसी बात का फायदा उठा कर शूटर फिर गोलियां चला कर भाग जाते हैं। एेसे में पुलिस को अंदेशा है कि शूटर गैंग के पकड़ में न आने पर फिर कोई गोलीकाण्ड न हो जाए।
जगह बदल-बदल कर हथियार सहित नाकाबंदी

पुलिस वर्षों से शाम को गश्त करती रही है, जिसमें सम्बंधित थाना पुलिस के साथ पुलिस लाइन से मिलने वाले अतिरिक्त जाब्ते के साथ गश्त की जाती है। गत १७ सितम्बर को व्यवसायी वासुदेव की गोली मारकर हत्या करने के बाद से शहर में हथियार से लैस होकर नाकाबंदी कर सायंकालीन गश्त की जा रही है। यह गश्त अंधेरा होने से पहले शुरू होती है और रात्रि गश्त शुरू होने यानी रात बारह बजे तक चलती है। रोजाना नाकाबंदी और जांच की जगह बदल कर संदिग्ध व्यक्तियों व वाहनों की जांच की जा रही है।

लाल टी-शर्ट पहने काली ने चलाई थी गोली

१७ सितम्बर को वासुदेव की हत्या का चश्मदीद उसका ही कर्मचारी है। इसके अलावा पुलिस कई जगह से फुटेज खंगाल रही है। सरदारपुरा थानाधिकारी भूपेन्द्रसिंह का कहना है कि वारदात में लॉरेंस गैंग के चार शूटर शामिल थे। इनमें से हरेंद्र उर्फ हीरा और काली राजपूत की ही पहचान हो पाई है। लाल टी-शर्ट पहने शूटर ने गोली चलाई थी, जो काली हो सकता है। वारदात के बाद फरार होने पर वह मोटरसाइकिल के पीछे बैठा था।

मदद करने वाले संदिग्धों से पूछताछ

उधर, चारों आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस और एसओजी के हाथ दस दिन बाद भी खाली हैं। पुलिस इनकी मदद करने वालों की तलाश में है। पुलिस ने कुछ संदिग्धों को पकड़ा भी है। जिनसे पूछताछ की जा रही है।

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