राजस्थान में पशुपालन विभाग की जयपुर स्थित राज्य रोग निदान प्रयोगशाला और जोधपुर स्थित क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला में ही ग्लेण्डर बीमारी के लिए नि:शुल्क एलाइजा जांच की जा रही है। जोधपुर लैब में जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर संभाग और जयपुर लैब में जयपुर, भरतपुर, कोटा व अजमेर संभाग के सैम्पल की नि:शुल्क जांच की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जोधपुर लैब में 1138 और जयपुर लैब में करीब 4 हजार सैम्पल की जांच की गई।
1913 में आया था पहला केस- -भारत में वर्ष 1913 में इस बीमारी का पहला केस सामने आया।
-हरियाणा के हिसार स्थित नेशनल रिसर्च सेन्टर ऑफ इक्वाइन में ग्लेण्डर पर रिसर्च चल रही है।
– घोड़े के नाक से गाढ़े व पीले पदार्थ का रिसाव – शरीर में जगह-जगह गांठें व मवाद बाहर आना
– घोड़े का थक जाना और पसलियां दिखाई देना —
ग्लेण्डर जांच जरूरी- अन्य पशुओं और मानव जाति को ग्लेण्डर बीमारी के संक्रमण से बचाने के लिए मेलों, शादी-विवाह या अन्य इवेंट में काम आने वाले सभी घोड़े/घोडि़यों की जांच करवाना जरूरी है।
-डॉ. प्रवीण चौधरी, उपनिदेशक, क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला, पशुपालन, जोधपुर