153 साल प्राचीन है मंदिर राजस्थानी वास्तुशैली में निर्मित मंदिर को महाराजा जसवंतसिंह ( द्वितीय ) के समय विक्रम संवत 1926 में निर्मित किया गया था। अधिकांश शहरवासी रसिक बिहारी मंदिर को नैनी बाई के मंदिर के नाम से जानते हैं। मंदिर में रथ पर सवार सूर्यदेव, राम लक्ष्मण व शिवालय भी है । मूल निज मंदिर रसिक बिहारीजी का है जो 17 फुट आयाताकार चबूतरे पर बना हैं ।
मंदिर परिसर में विशाल कामनंदी जोधपुर शहर में कई मंदिर ऐसे भी है जो शिल्प स्थापत्य कला की उन्नत परंपराएं मनमोहक रूप आकार से अपनी पहचान कायम किए हैं। इनमें पावटा उदय मंदिर मार्ग स्थित रसिक बिहारी का भव्य मंदिर है जो पूर्ण रूप से राजस्थानी वास्तु शैली के दर्शन कराता है। महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय की पासवान नैनी बाई ने विक्रम संवत 1926 में मंदिर बनवाया था।
इसमे छप्पन स्तंभ गर्भ गृह और परिक्रमा परिसर बनाया गया है। मंदिर में मूलतः श्री कृष्ण की ठाकुर जी की मूर्ति सहित झारखंड महादेव मंदिर भी है। मंदिर में विशाल नंदी बने हैं जो जोधपुर के दूसरे मंदिरों से बड़े हैं। मंदिर प्रांगण में जोधपुर के महाराजा की ओर से विशाल काम नंदी प्रतिमा को विक्रम संवत 1993 में भेंट किया गया था । नंदी के पास ही शिलापट्ट पर इसका वर्णन भी किया गया है। शिलालेख में कहा गया कि मरुधरधीशाधिपति महाराजा तखत सिंह साहिब बहादुर पुत्र राज राजेश्वर महाराजाधीराज जसवंत सिंह साहिब बहादुर ने यह नंदीगण श्री झारखंड महादेव को भेंट किया। इसमे तारीख विक्रम संवत 1943 पौष बदी पंचमी बताई है।