सूत्रों के मुताबिक जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना कि प्रायोगिक कार्य में लॉन्ग केस, शॉर्ट केस, स्पोटिंग, वायवा सहित विभिन्न टेस्ट में अंक देते समय मानकों की पूर्णतया पालना नहीं की गई है। कमेटी ने फिर से उत्तर पुस्तिकाएं जांचने की अनुशंषा की है। शिक्षक पर कार्यवाही को लेकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कोई टिप्पणी नहीं की।
……………………..
प्रो अभिमन्यु कुमार सिंह, कुलपति, डॉ एसआरएस आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर