दरअसल, वन विभाग भी चतुर सागर को सुधारने और उसके नव निर्माण को लेकर गंभीर नहीं है। हैरत की बात यह है कि इसे बचाने के लिए संस्था की मांग पर वन विभाग की ओर से भले ही बजट बना दिया, लेकिन अभी तक इसे सुधारने के लिए कुछ नहीं किया। 35 एकड़ में फैला यह तालाब प्रशासनिक लापरवाही से करीब 30 सालों से अतिक्रमण की जद में है। इसके अलावा तालाब के आस-पास के क्षेत्र में भी धीरे-धीरे अतिक्रमण हो रहे है तो कई लोग यहां पर अनैतिक गतिविधियां भी कर रहे है।
डीपीआर तैयार सिद्ध गुह्रश्वतेश्वर भैरूनाथ मंदिर पाटोत्सव एवं जीर्णोद्वार समिति के संयोजक एस.के. बिस्सा ने बताया कि इस कार्य के लिए बकायदा केंद्र सरकार की ओर से आए पत्र के आधार पर डीएफओ ने 5 करोड़ की डीपीआर तैयार करवाकर उच्च अधिकारियों के पास भेजी। इसमें 2 करोड़ तालाब का पैदा तैयार करने के लिए, 2 करोड़ तालाब की बाउंड्री बनाने के लिए, 50 लाख वन रक्षक चौकी और 50 लाख तालाब के आस-पास नर्सरी डवलप करने के लिए प्रस्ताव बनाया था,लेकिन अब यह प्रस्ताव प्रधान मुख्य वन सरंक्षक और अतिरित प्रधान मुख्य वन सरंक्षक के पास विचाराधीन है।
अनदेखी से आहत, आंदोलन की चेतावनी समिति संयोजक एस.के. बिस्सा ने बताया कि शहर के कई तालाब, बावडिय़ों को सुधारने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कार्य कर रही है, लेकिन सरकार चतुर सागर के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार स्तर पर जल्द ही कोई एशन नहीं लिया गया तो चतुरसागर को बचाने के लिए आंदोलन किया जाएगा।