कोर्ट ने यह कहा…
कोर्ट ने अपने प्रसंज्ञान आदेश के निष्कर्ष में कहा कि साक्ष्य से यह तथ्य प्रथम दृष्टया सामने आता है कि घटना के वक्त आनंदपाल सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया था तथा उसे पुलिस बल ने जीवित पकड़ लिया था। इसके बाद उसके साथ मारपीट कर नजदीक रेंज से उसे गोली मारी गई थी।जानें कौन हैं आईपीएस राहुल बारहठ जिनका 7 साल बाद भी पीछा नहीं छोड़ रहा आनंदपाल एनकाउंटर केस
वो तथ्य, जो केस चलाने की वजह बने
- गोली का खोखा छत पर कैसे: तत्कालीन कुचामन सिटी वृत्ताधिकारी विद्या प्रकाश की पिस्टल से चलाई गोली का खाली खोखा छत पर मिला। जब विद्या प्रकाश आनंदपाल की मृत्यु होने तक छत पर नहीं गया तो गोली का खोखा छत पर कैसे पाया गया।
- पोस्टमार्टम की अलग-अलग रिपोर्ट: मृतक आनंदपाल के पहले पोस्टमार्टम में शरीर पर 11 गोलियां लगने का तथ्य सामने आया। दूसरे पोस्टमार्टम में उसके शरीर से 2 गोलियां और निकली थीं। इससे प्रथम पोस्टमार्टम पर सवाल उठता है।
- चोटों के आसपास टैटूइंग: दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक की चोटों के आस-पास टैटूइंग पाई गई थी। कोर्ट ने संदेह जताया कि शरीर के नजदीक से लेकर 6 फीट तक से किए गए फायर के कारण ही टैटूइंग संभव है।
- कांस्टेबल का विरोधाभासी बयान: कांस्टेबल सोहन सिंह ने कहा था कि आनंदपाल के बर्स्ट फायर के जवाब में उसने भी बर्स्ट फायर किया। सीबीआई को दिए बयान में उसने कहा कि आनंदपाल के बर्स्ट फायर की गोली सामने दीवार पर टकरा कर उसकी पीठ पर लगी थी।
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पत्नी ने पेश की थी प्रोटेस्ट याचिका
आनंदपाल की पत्नी राज कंवर ने प्रोटेस्ट याचिका पेश की थी। पीठासीन अधिकारी युवराज सिंह ने चूरू के तत्कालीन एसपी बारहठ सहित कुचामन सिटी के तत्कालीन वृत्त अधिकारी विद्या प्रकाश, पुलिस निरीक्षक सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाश चेद्र, कांस्टेबल सोहन सिंह, धर्मपाल और धर्मवीर के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया।