‘गौना’ राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रचलित विवाह की अंतिम रस्म है। यह बाल विवाह की प्रथा से जुड़ा है और शादी के वर्षों बाद होता है। इसी बीच कंचन के भाई को जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी कृति भारती द्वारा चलाये जा रहे बाल विवाह उन्मूलन अभियान के बारे में पता चला। जब कंचन अपने भाई के साथ भारती से मिली और अपनी आपबीती सुनाई, तो ट्रस्ट ने जोधपुर में फैमिली कोर्ट नंबर 1 में उसके बाल विवाह को रद्द करने की मांग करते हुए एक मामला दायर किया।
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कंचन द्वारा अदालत का दरवाजा खटखटाने से नाराज बिरादरी के कुछ नेताओं ने उन पर अर्थ दंड लगाने के अलावा, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ अन्य रिश्तेदारों का बहिष्कार भी किया। हालांकि, भारती की काउंसलिंग के बाद कई लोग कंचन के समर्थन में आए और उसके परिवार के सदस्यों को वापस बिरादरी में शामिल कर लिया। वे कंचन के बाल विवाह को रद्द करने पर भी सहमत हुए।
भारती की काउंसलिंग के बाद दूल्हे ने भी शादी रद्द करने पर सहमति दे दी जिसके बाद जस्टिस मुजफ्फर चौधरी ने 11 साल पहले हुए बाल विवाह को रद्द करने का आदेश दिया। समाज को कड़ा संदेश देते हुए न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाल विवाह का खामियाजा कई लड़कियों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की प्रथा को रोकने के लिए समाज में सबकी सम्मिलित जिम्मेदारी है।
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कंचन ने कहा कि कृति भारती दीदी की मदद से मेरा बाल विवाह रद्द हो गया है। मैं बहुत खुश हूं। अब मैं अपने सपने पूरे करूंगी। भारती़, जो एक पुनर्वास मनोवैज्ञानिक और बाल एवं महिला अधिकारों की वकील भी हैं, ने कहा कि आखिरकार कंचन को बाल विवाह से मुक्ति मिल गई है। इसके साथ, हमारे ट्रस्ट ने अब राजस्थान में 50 से अधिक बाल विवाह रद्द करने में मदद की है। मेरा सपना बाल विवाह की प्रथा को इतिहास की किताबों में दफन होते देखना है।