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जोधपुर

नगर निगम ने जोधपुर में स्वच्छता के नाम पर बहाए अरबों रुपए, 10 सालों में फेल हुए सफाई के 5 प्रोजेक्ट्स

सच्चाई यह है कि इन सभी योजनाओं की रोशनी में सूर्यनगरी स्वच्छता की चमक ढूंढ़ रही है।

जोधपुरOct 18, 2018 / 10:27 am

Harshwardhan bhati

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अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. प्रदेश के दूसरे बड़े शहर जोधपुर में अरबों रुपए सफाई के नाम खर्च हो चुके हैं। नगर निगम कई बार योजनाएं बना चुका है। लेकिन आज तक परिणाम ढाक के तीन पात रहे। सच्चाई यह है कि इन सभी योजनाओं की रोशनी में सूर्यनगरी स्वच्छता की चमक ढूंढ़ रही है। शहर में अनेक स्थलों से कई दिनों तक कचरा नहीं उठता। जनता की सुनवाई निगम के उप कार्यालयों से लेकर मुख्यालय तक नहीं होती। जबकि निगम अब सफाई में बड़ी फर्मों को छोड़ छोटे-छोटे प्रोजेक्ट पर आ गया है।
बिंदुवार जानिए अब तक के प्रोजेक्ट

1. जोधपुर में पहली बार 2008-09 में कनक रिसोर्सेज मैनेजमेंट लि. जयपुर ने घर-घर कचरा संग्रहण प्रोजेक्ट शुरू किया। कंपनी ने 45 वार्डों में योजना लागू की। लेकिन एक-दो वार्डों को छोडकऱ लोगों ने तय राशि तक नहीं दी। इस अभाव में कंपनी को बीच में काम छोडकऱ जाना पड़ा।
2. 2012-13 में रामकी एनवायरो इंजीनियरिंग, दिल्ली ने घर-घर कचरा संग्रहण के लिए केरू तक परिवहन के लिए 829.44 रुपए प्रति टन स्लैब के अनुसार भुगतान की शर्त तय हुई। निगम व रामकी कंपनी के बीच भुगतान अटक गया। नगर निगम डेढ़ साल में स्वतंत्र अभियंता की नियुक्ति नहीं कर पाया।
3. 2014 में श्रीनिवासन, वेल्लूर के रिसोर्स पर्सन का आगमन, वेल्लूर के रिसोर्स पर्सन श्रीनिवासन ने सभी वार्डोँ से निकलने वाले रिसाइकिल लायक कचरे का सर्वे कराना शुरू किया। बॉलीवुड के अभिनेता आमिर खान की मौजूदगी में 18 माह शहर को स्वच्छ करने का सपना दिखाया गया। ये काम शहर में नौ माह भी नहीं चला।
4. 2015 में नगर निगम ने ‘जोश’ अभियान के तहत स्मार्ट कॉलोनी- स्मार्ट वार्ड प्रोजेक्ट लांच हुआ। निगम ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गर्वंमेंट की सहायता से आदर्श मोहल्ला योजना के पायलट प्रोजेक्ट में शहर की चार कॉलोनियां प्रेम विहार, शिक्षक कॉलोनी, आशापुरा मंदिर और सर प्रताप कॉलोनी का चयन किया था। प्रेम विहार कॉलोनी ने स्मार्ट कॉलोनी का दर्जा हासिल कर लिया। बाद में निगम प्राथमिकता से यहां विकास कार्य नहीं करवा पाया।
5. नगर निगम इन दिनों घर-घर कचरा संग्रहण के लिए चार-चार वार्डोँ का कलस्टर बना रहा है। जबकि अधिकांश वार्डों के लिए कोई संवेदक नहीं मिल रहा है।

6. शहर के 65 वार्डों की निगरानी के लिए निगम ने 57 अधिकारियों को मॉनिटरिंग सौंपी है। ताकि वे शहर के प्रत्येक वार्ड की सफाई व्यवस्था पर निगरानी रख सके।
इनका कहना है

घर-घर कचरा संग्रहण योजना पहली की तरह विफल नहीं रहेगी। क्योंकि पहले एक बड़े प्रोजेक्ट में एक कंपनी के काम बंद करते ही 65 वार्डों में कार्य प्रभावित होता था। अब कलस्टर से एक के काम बंद करने से शेष वार्डों में काम नहीं रुकेगा। वैसे हमारे नए सफाईकर्मी जमकर सफाई कर रहे है।

– दुर्गेश कुमार बिस्सा, आयुक्त

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