रेलवे ग्रूउप डी की कुछ शिफ्टों में परीक्षा का स्तर बहुत सरल था, इसलिए उस शिफ्ट के विद्यार्थी दी गई समय सीमा में अधिक प्रश्नों को हल करने में सक्षम थे। लेकिन कुछ शिफ्टों में, प्रश्नों का स्तर लंबा और कठिन था और उस शिफ्ट के विद्यार्थी मेहनत कर भी अधिक प्रश्न नहीं हल कर सकें। ऐसे में रेलवे भर्ती बोर्ड ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इस वर्ष RRB Group D Result जारी की गई रिक्तियों के लिए नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया (अंकों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया) को लागू कर दिया है। जिससे सभी विद्यार्थियों के साथ न्याय हो सके।
नॉर्मलाइजेशन सिस्टम के तहत पेपर कितना कठिन था इसका स्तर तय किया जाता है। इसके आधार पर अंक निर्धारित कर दिए जाते हैं। मान लीजिए, परीक्षा के पहले दिन पेपर कठिन था तो अनुमान लगा लिया गया कि इस पेपर में यदि कोई 70 नंबर भी ले आया तो उसे 100 नंबर मान लिया जाएगा। जबकि दूसरे दिन पेपर बहुत सरल था तो इसका उल्टा कर दिया जाएगा। 100 नंबर लाने वाले को 70 नंबर मान लिया जाएगा।
Normalisation in RRB Group D Result अब मान लीजिए कि शिफ्ट -1 के उम्मीदवार 60, 50, 45, 65 और 55 अंक प्राप्त करते हैं। शिफ्ट -2 के उम्मीदवार 100, 80, 70, 90 और 85 अंक प्राप्त करते हैं। शिफ्ट -3 के उम्मीदवार 90, 95, 60, 75 और 80 अंक प्राप्त करते हैं।
यहाँ पर उम्मीदवार प्रश्नपत्रों के स्तर के कारण अलग-अलग शिफ्टों में उम्मीदवारों के अंकों में भिन्नता देख सकते हैं। इसलिए, हम पहली शिफ्ट का माध्य ज्ञात करेंगे और वह 55 अंक होगा। फिर हम दूसरी शिफ्ट का माध्य ज्ञात करेंगे जो कि 85 अंक होगा। इस प्रकार, शिफ्ट-1 और शिफ्ट-2 के माध्य के मध्य का अंतर 30 है। यदि हम पहली शिफ्ट के उम्मीदवार के अंकों में 30 अंक जोड़ देते हैं, तो नॉर्मलाइजेशन अंक (60+30=90), (50+30=80), (45+30=75), (65+30=95) और (55+30=85) होंगे, जो अब शिफ्ट-2 के अंकों के बराबर होंगे। अब शिफ्ट-1और शिफ्ट-2 के अंक बराबर होंगे।
उसी प्रकार, हम दूसरी शिफ्ट और तीसरी शिफ्ट के अंकों का नॉर्मलाइजेशन कर सकते हैं। दूसरी शिफ्ट में, अंकों का माध्य 85 है, तीसरी शिफ्ट में, अंकों का माध्य 80 होगा, इसलिए माध्य अंक का अंतर 5 है, यदि हम शिफ्ट-3 के उम्मीदवारों के अंकों में 5 अंक जोड़ देते हैं, तो (90+5=95), (95+5=100), (60+5=65), (75+20=95) और (80+20=100) अंक प्राप्त करेंगें।