आपको यह समझने की जरूरत है कि क्या चीज एक पेटेंट को यूनीक बनाती है और यह आपके स्टार्टअप के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है। आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि कहीं यह आइडिया या प्रॉडक्ट कहीं पहले ही तो किसी ने पेटेंट नहीं करवा रखा। इसके लिए बतौर स्टार्टअप आपको मार्केट की स्टडी करनी होगी और यह जानना होगा कि पेटेंट में इंवेस्ट करना वर्थव्हाइल है या नहीं। यदि मार्केट में आपके जैसा पेटेंट नहीं है तो फिर अप्लाई करें।
पेटेंट के लिए अप्लाई किया जाए या नहीं, यह फैसला लेते समय इस बात का फर्क पड़ता है कि कंपनी स्थाई है या फिर स्टार्टअप। अगर आपके स्टार्टअप ने कोई नई टेक्नोलॉजी विकसित की है और आप चाहते हैं कि इस टेक्नोलॉजी को सीक्रेट रखा जाएगा फिर आपको पेटेंट के लिए अप्लाई करना चाहिए क्योंकि कोई भी बड़ी कंपनी भी इसका इस्तेमाल कर लेगी।
हर देश में पेटेंट को लेकर कानून अलग-अलग होते हैं और आपने जिस देश में इसे पेटेंट कराया है, हो सकता है कि दूसरा देश उसे न माने। जैसे चीन में कोई भी टेक्नोलॉजी पेटेंट कराने से पहले वहां उसे सार्वजनिक करना ही होता है। इसके सीधे मायने यह हुए कि लोकल एंटरप्रेन्योर उस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आराम से कर सकते हैं। हर देश की पेटेंट कानून की खामियां जानें।
किसी भी एंटरप्रेन्योर या स्टार्टअप को पेटेंट इस तरह से फाइल करना चाहिए कि वह फंडिंग अट्रैक्ट कर सके। इंवेस्टर भी उस बिजनेस को पसंद करते हैं, जिसके पास विनिंग पेटेंट हो और भविष्य में काम आने वाला हो। अगर आप फाइनेंशियल बैकर्स को आकर्षित करने के लिए पेटेंट फाइल कर रहे हों तो पहले के पेटेंट्स के लिए उनका आईपी पोर्टफोलियो जान लें।
यह स्वाभाविक है कि पेटेंट फाइल करने में काफी पैसे लगते हैं। इसलिए एंटरप्रेन्योर होने के नाते आपको इसकी कॉस्ट को मैनेज करना जरूरी है। जैसे पेटेंट के पीछे टेक्नोलॉजी से संबंधित ड्रॉइंग क्रिएट करना थोड़ा टाइम खपाने वाला जरूर होता है और इसमें पैसा भी ज्यादा लगता है लेकिन ऐसा करने से पेटेंट को कॉपीकैट्स से बचाना आसान हो जाता है।