रात 8.30 बजे से सुबह 7 बजे तक चलता है कारोबार
हरी लकड़ियों की तस्करी करने वाले रात करीब 8.30 बजे से झुंझुनूं जिले के चिड़ावा, पिलानी, बुहाना, सूरजगढ़, खेतड़ी, सिंघाना, गुढ़ागौड़जी, उदयपुरवाटी आदि क्षेत्रों में हरी लकड़ियों की कटाई शुरू करते हैं और देर रात 2.30-3.00 बजे पिकअप में लकड़ियां भर कर हरियाणा के सिंघानी गांव के लिए रवाना होते हैं और सुबह 5 बजे से 7 बजे तक सिंघानी की आरा मशीनों पर इन गाड़ियों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहता है।
150-200 रुपए में खरीदते हैं
तस्कर खेतों में से से डेढ़ सौ रुपए से लेकर के दो सौ रुपए प्रति क्विंटल तक लकड़ी की खरीद करते हैं और मंडी में जाकर साढे चार सौ से पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल में बेचते हैं। हरियाणा के सिंघानी में एक आरा मशीन संचालक से पूछा गया कि लकड़ी किस भाव खरीदोगे तो उसने 420 रुपए प्रति क्विंटल के भाव बताए, बाद में कम करने के लिए कहा तो उसका कहना था कि लकड़ी देखकर भाव तय होंगे।
कहीं कोई रोक न टोक
करीब तीन घंटे की इस पड़ताल में यही समझ में आया कि तस्करों को पुलिस या वन विभाग की कार्रवाई का कोई डर नहीं है। इसलिए वे खुलेआम मुख्य सड़कों से होकर लकड़ियों से भरी पिकअप लेकर जा रहे हैं। पिकअप को ऊपर से जरूर तिरपाल से ढक दिया जाता है लेकिन पीछे की तरफ से लकड़ियां बाहर निकली हुई साफ नजर आती है लेकिन पूरे रास्ते में इन गाड़ियों को रोकने-टोकने वाला कोई नहीें मिला।
रास्ते में चार थाने, वन विभाग का कार्यालय भी
झुंझुनूं के गुढ़ा, उदयपुरवाटी क्षेत्र से दर्जनों गाडिय़ों भरकर हरियाणा पहुंचती हैं। बीच में गुढ़ागौडज़ी, सुलताना, चिड़ावा और सूरजगढ़ थाना एवं चनाना पुलिस चौकी क्षेत्र आता है। चिड़ावा में तो वन विभाग का कार्यालय भी है।
तीन जिलों से 300 गाड़ियां रोज निकलती है
पड़ताल में सामने आया कि सीकर, चूरू और झुंझुनू जिलों से 300 से ज्यादा गाड़ियां रोजाना हरियाणा के सिंघानी और नारनौल के पास पहुंचती हैं। एक गाड़ी में 30 क्विंटल लकड़ी आती है, इस हिसाब से सीकर, चूरू और झुंझुनूं से रोजाना करीब 9000 क्विंटल लकड़ी हरियाणा जा रही है।