झुंझुनूं. शहर में बादलगढ़ क्षेत्र में स्थित गोपीनाथजी मंदिर लगभग तीन सौ साल से ज्यादा पुराना है। कभी यहां नौ महल थे इसलिए इस मोहल्ले का नाम पहले नौ महला मोहल्ला था। मंदिर की खुद की शैली भवन जैसी है। मंदिर में फ्रेस्को पेंटिंग अभी भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यहीं पर शिवालय में एक ही जगह ग्यारह शिवलिंग हैं। इसके अलावा एक चारमुखी शिवलिंग भी है। मंदिर के सामने बालाजी का मंदिर है। गोपीनाथजी की मूर्ति श्याम वर्ण की है जो मनमोहक है। उनके पास ही लाडलीजी की मूर्ति है। मंदिर का निर्माण तत्कालीन शासक शार्दुल सिंह शेखावत ने करवाया था। उन्होंने इसे भव्य रूप दिया।
जीवन के 86 बसंत देख चुके श्रद्धालु बाल सिंह ने बताया कि मंदिर के दो तरफ कुएं हैं। पहले इसी कुएं के पानी से ठाकुरजी के लिए भोग बनता था। भोग बनाने के लिए मंदिर के पीछे की तरफ एक स्पेशल रसोई बनी हुई है। अब मंदिर जीर्णशीर्ण हो रहा है। मंदिर के फिर से निर्माण के लिए दानदाताओं व भक्तों को आगे आना चाहिए।
कभी थी 500 बीघा जमीन
रिटायर्ड सीएमएचओ एवं पुजारी परिवार के सदस्य डॉ सीताराम शर्मा ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे जब मंदिर बनकर तैयार हो गया तब शार्दुल सिंह शेखावत गोपीनाथ जी को ही अपना आराध्य मानते थे। उनकी पूजा के लिए पुजारी को हर माह डेढ़ सौ रुपए, घी, चावल व अन्य पूजा व भोग सामग्री देते थे। शार्दुल सिंह दूरगामी सोच के थे। उन्होंने मंदिर में भविष्य में पूजा होती रहे, खर्चा चलता रहे, इसके लिए पांच सौ बीघा जमीन मंदिर के नाम दान दी थी लेकिन प्रभावशाली लोगों ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया। अब मंदिर के पास एक बीघा जमीन भी नहीं बची। मंदिर में वैसे तो हर पर्व मनाए जाते हैं। वसंत पंचमी व जन्माष्टमी पर विशेष कार्यक्रम होते हैं।
एक दिन पहले मनाया जाएगा जन्माष्टमी… सजेगी झांकी, फोडेंगे मटकी
मंदिर में नियमित आने वाले भक्तों के सहयोग से रविवार को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। श्रद्धालु जितेन्द्र सिंह व राहुल शर्मा ने बताया यहां एक दिन पहले जन्माष्टमी मनाने की परम्परा रही है। रविवार को झांकी सजाई जाएगी। प्रसाद वितरण होगा। सोमवार को दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए उदय सिंह खींची, विनीत शर्मा, संदीप शर्मा, नीतेश शर्मा, मोहित सिंह, देवी सिंह, महेन्द्र सिंह, सचिन शर्मा व अन्य भक्त तैयारियों में जुटे हुए हैं।