साढे चार घंटे बिना उपचार के रहा, इलाज मिलता तो…
रोहिताश काे गुरुवार दोपहर 1.50 बजे मृत घोषित किया। पोस्टमार्टम की कार्रवाई के बाद पांच बजे उसे श्मसान घाट ले जाया गया। वहां उसके शरीर में हलचल हुई तो वापस करीब 6. 24 बजे बीडीके लेकर आए। इस दौरान करीब साढ़े चार घंटे तक वह बिना उपचार के रहा। लोगों का कहना है कि अगर साढ़े चार घंटे उसे इधर-उधर घुमाने की बजाय, निरंतर उपचार मिलता तो उसकी हालत में काफी सुधार हो सकता था।
यह है है पूरा मामला
झुंझुनूं के राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल (बीडीके) में गुरुवार को जिस युवक को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक तैयार कर दी गई थी, उसकी शुक्रवार तड़के जयपुर के अस्पताल में हकीकत में मौत हो गई। एक दिन पहले डॉक्टरों के मृत घोषित करने पर उसे दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया गया था, जहां चिता पर लेटाते ही उसकी सांसें चलने लगी थी, उसके बाद करीब 15 घंटे तक उसका इलाज चला। बगड़ के मां सेवा संस्थान में रहने वाले युवक रोहिताश (25) को तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार दोपहर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल लाया गया था। जहां दोपहर 1.50 पर एक चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। दूसरे चिकित्सक ने कागजों में उसका पोस्टमार्टम कर संस्थान को सुपुर्द कर दिया। संस्थान के लोग जब उसे श्मशान घाट ले गए तो उसके शरीर में हलचल हुई और उसे शाम 6.24 बजे को वापस बीडीके अस्पताल लाया गया। जहां पर देर रात 2 बजे तक उसका इलाज चलता रहा। इसके बाद उसे जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया।