श्याम भक्त हजारी लाल इन्दोरिया बताते हैं कि बाबा श्याम के दरबार में आस्था के सैलाब को देखकर अंग्रेजी हुकूमत ने खाटू मंदिर में ताला लगा दिया था। तब एक भक्त मंगलाराम अपने गुरु गोर्धनदास के आदेश पर सूरजगढ़ से निशान लेकर खाटूधाम पहुंचा। उसने बाबा श्याम का नाम लेकर मोर पंख ताले पर मारा तो ताला खुल गया।
यह चमत्कार देख अंग्रेजी हुकूमत ने पैर पीछे कर लिए। इसके बाद से इस निशान को लेकर मान्यता बढ़ गई। यह निशान फागुन शुक्ल छठ व सप्तमी के दिन सूरजगढ़ से रवाना होता है और द्वादशी के दिन खाटूश्याम के मंदिर के शिखर पर चढ़ाया जाता है।
इसके अलावा किसी भी ध्वज को खाटूश्याम मंदिर के शीर्ष पर जगह नहीं मिलती है। हर साल सूरजगढ़ से दो निशान खाटूधाम के लिए रवाना होते हैं। इसमें एक निशान इस बार 26 फरवरी को और दूसरा 27 फरवरी को रवाना होगा। यह निशान 4 मार्च को खाटू श्याम के मंदिर पर चढ़ाया जाएगा।
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श्रद्धालु सूरजगढ़ से सुल्ताना, गुढ़ा, गुरारा होते हुए लगभग 152 किलोमीटर की यात्रा नाचते-गाते तय कर खाटूधाम पहुंचते हैं। जैसे-जैसे सूरजगढ़ से निशान लेकर पदयात्रा आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे पैदल यात्रियों की संख्या में इजाफा हो जाता है। महिलाएं पूरे रास्ते में बाबा के भजनों पर नाचते-गाते चलती हैं। 10 से 15 हजार श्रद्धालु इस पदयात्रा में शामिल होते हैं।