शहीद के साथ तैनात उनके चचेरे भाई ग्रेनेडियर इकरार खान ने बताया कि चार भाई-बहनों में सबसे छोटे मोसिम 3 साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। उनके बड़े भाई अमजद खान भी जम्मू के राजौरी इलाके में तैनात हैं। दो बहनों की पास के ही गांव कोल्याली और लावंडा में शादी हुई है। वहीं शहीद के पिता सरवर खान भी रिटायर्ड सूबेदार है। ग्रेनेडियर इकरार खान ने बताया कि मोसिम खान के शहीद होने की सूचना उनको शुक्रवार शाम 5 बजे ही मिल गई थी। लेकिन उन्होंने परिवार में किसी को भी इसके बारे में नहीं बताया शनिवार सुबह शहीद के माता-पिता को इस दुखद घटना की जानकारी दी गई।
शहीद की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। वहीं महिलाओं ने अपने लाडले शहीद की अंतिम यात्रा में छतों से फूल बरसाकर नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद के चचेरे भाई नवाब अली ने बताया कि ईद उलजुहा पर्व की रौनक हर चेहरे से गायब हो गई। ईद के पहले दिन ही गांव को अपने लाडले की शहादत की जानकारी मिल चुकी थी। शनिवार को दिन भर गांव में मातम छाया रहा।