पिछले करीब 66 साल तक पेंशन लेने वाले वे प्रदेश के एकमात्र सेवानिवृत्त फौजी थे। उनकी 92 वर्षीय पत्नी चंदा देवी को आजीवन इस पेंशन की आधी राशि मिलती रहेगी। 1923 में जन्में बोयतराम डूडी 1942 में ब्रिटिश फौज में राजरिफ में भर्ती हुए थे। दूसरे विश्व युद्ध में शामिल होकर बहादुरी का परिचय दिया। इसके लिए उन्हें चार सेना मेडल मिले थे। इस युद्ध में बटालियन के 80 फीसदी सैनिक शहीद हो गए थे। उनके ब्रिटिश राज की तत्कालीन भारतीय की उस आर्मी ज्वॉइन की थी।
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60 साल से लगातार सैनिक कोटे से पेंशन लेने का अनूठा रिकॉर्ड बनाने वाले बोयतराम डूडी को दूसरे विश्व युद्ध में बहादुरी के लिए चार सेना मेडल मिले थे। उनका कई बार ग्रामीणों और सेना के अधिकारियों की ओर से सम्मान किया गया था।
उनको ग्राम गौरव अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। 21 जुलाई 1923 को जन्मे बोयतराम डूडी जिले के सबसे अधिक उम्र दराज फौजी थे। 1942 में जब वे 19 वर्ष के हुए तब ब्रिटिश सेना में भर्ती हो गए थे। देश की आजादी के बाद वे सेना में शामिल हो गए थे। वर्ष 1957 में वे सेना से रिटायर हुए।