scriptदोनों जिगरी दोस्त नौकरी भी साथ लगे, आखिरी बार गांव भी साथ गए और तिरंगे में लिपटकर भी साथ आए | Both best friends got jobs together, went to the village together for the last time and came back together wrapped in the tricolour | Patrika News
झुंझुनू

दोनों जिगरी दोस्त नौकरी भी साथ लगे, आखिरी बार गांव भी साथ गए और तिरंगे में लिपटकर भी साथ आए

जब वे अंतिम बार खुद के गांव आए तो भी साथ। लेकिन वे ऐसे आए कि कोई उनका आना भूल नहीं पाएगा। दोनों जब तिरंगे में लिपटकर आए तो हर आंख छलक पड़ी। दोनों लाडलों के सम्मान में
गांव में तिरंगा रैली निकाली गई। कई मंत्री, आईएस, आईपीएस, सांसद, पूर्व सांसद, विधायक व पूर्व विधायक सहित अनेक जनप्रतिनि​धि व अ​धिकारी नमन करने पहुंचे।

झुंझुनूJul 18, 2024 / 02:22 pm

Rajesh

शहीद अजय सिंह व शहीद बिजेन्द्र सिंह दौराता

शहीद अजय सिंह व शहीद बिजेन्द्र सिंह दौराता

यह अजब दोस्ती की गजब कहानी है। दोनों जिगरी दोस्त। वर्ष 2018 में एक साथ नौकरी लगे। दोनों ने ही भारतीय सेना में अपना कॅरियर चुना। घर आना-जाना भी साथ रहता था। राष्ट्रीय राइफल्स में भी साथ लगे। जब वे अंतिम बार खुद के गांव आए तो भी साथ। लेकिन वे ऐसे आए कि कोई उनका आना भूल नहीं पाएगा। दोनों जब तिरंगे में लिपटकर आए तो हर आंख छलक पड़ी। दोनों लाडलों के सम्मान में गांव में तिरंगा रैली निकाली गई। कई मंत्री, आईएस, आईपीएस, सांसद, पूर्व सांसद, विधायक व पूर्व विधायक सहित अनेक जनप्रतिनि​धि व अ​धिकारी नमन करने पहुंचे। राजस्थान के झुंझुनूं जिले के भैसावता कलां निवासी सिपाही अजयसिंह नरुका और डूमोली कला के बिजेंद्र दौराता जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के जंगलों में आंतकियों से अंतिम सांस तक लड़े। दोनों ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया। लेकिन दुश्मन ने​ पीछे से कायरना वार कर दिया। जिससे दोनों शहीद हो गए। सत्रह जुलाई 2024 को उनका अंतिम संस्कार किया तो हजारों लोग उमड़ पड़े। शहीद अजय सिंह नरूका का गांव भैंसावता कलां में और शहीद बिजेन्द्र सिंह की डूमोली कलां में पूर्ण सम्मान से अंत्येष्टी की गई।

टेंट लगा तो समझ में आया

डूमोली कलां में शहीद के परिवार वालों को मंगलवार को कोई जानकारी नहीं दी गई थी। बुधवार सुबह बिजेंद्र के पिता रामजीलाल घर के पास स्थित खेत में चले गए। उसी दौरान घर के बाहर टेंट लगाता देखा तो वह एकदम से कुछ समझ ही नहीं पाए। तब बिजेन्द्र के भाई दशरथ सिंह पिता के पास गए और उनसे लिपटकर रो पड़े। पिता रामजीलाल ने जैसे ही लाडले बेटे के शहादत की खबर सुनी, वह बिलख पड़े। फिर खुद को संभालते हुए बोले मुझे बेटे पर गर्व है। उसने उसने अपना फर्ज निभाया है, वह देश के लिए लड़ा है। उधर वीरांगना अंकिता अपने पति की पार्थिव देह के लिपटकर बेसुध हो गई। मां अपने बेटे के शव को दुलारती रही। बिजेन्द्र सिंह को उनके तीन साल के मासूम बेटे विहान ने मुखाग्नि दी। इस दौरान गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

बहन बोली : अब किसे बांधूंगी राखी

भैंसावता कलां में जैसे ही शहीद अजय सिंह की पार्थिव देह पहुंची, उनकी पत्नी शालू कंवर ताबूत से लिपटकर रो पड़ी। वह दो बार बेहोश होकर गिर पड़ी। बुआ की बेटी बहन का भी यही हाल हुआ, रक्षाबंधन से पहले भाई देह देखकर उसने कहा अब किसकी कलाई पर राखी बांधूंगी भैया…। अजय के पिता सेना से रिटायर हैं, उन्होंने सेना की टोपी पहनकर बेटे को सैल्यूट किया। उनकी आंख में आंसू थे तो बेटे की शहादत पर गर्व भी था। अजय के भाई करणवीर सिंह ने मुखाग्नि दी। केबीनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी अंत्येष्टी में शामिल होकर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।

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