बाजरा #aayurved
बाजरा शरीर में गर्मी और सूखापन पैदा करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमेें आयरन और प्रोटीन होता है। इसमें पेट सम्बंधी रोग , कफ , बलगम को ठीक करने वाले गुण होते हैं।खिचड़ी गर्म दूध के साथ लेने से शरीर पर सर्दी का प्रभाव नहीं पड़ता। बाजरा अपने रासायनिक संरचना के कारण माइग्रेन के लिए भी लाभदायक है, बाजरा एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमन्द होता है। वैसे तो देसी बाजरे की उपज कुछ कम होती है पर कोशिश करे की हमेशा देसी बाजरा ( तीन माही वाला) ही इस्तेमाल करें।
नीम गिलोय नीम गिलोय को अमृत तुल्य माना गया है। यह मनुष्य को अनेक प्रकार के रोगों से लडऩे की ताकत प्रदान करती है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। गिलोय को ज्वरनाशक भी कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति काफी दिनों से किसी भी तरह के बुखार से पीडि़त है तो गिलोय इसमे रामबाण साबित होती है। इसके साथ ही अगर किसी को डेंगू बुखार हो तो उसमें भी गिलोय का काढ़ा काफी कारगर है। गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कार्डिफोलिया है। संस्कृत में गिलोय को अमृता और गुरूचि भी कहते हैं। गिलोय, तुलसी, अदरक, हल्दी, तेज पत्ता, लोंग लें।इनको कूट कर पानी में अच्छे से उबालें। जब पानी चार गुणा हिस्से का बचे तब बच्चों को मिश्री के साथ व बड़े बिना मिश्री के सुबह व रात को लें।
अदरक
अदरक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है जिससे यह सर्दी-खांसी तथा फ्लू का जाना-माना उपचार है। ऊपरी श्वास मार्ग के संक्रमण में आराम पहुंचाने के कारण यह खांसी, खराब गले और ब्रोंकाइटिस में भी काफी असरकारी होती है। सर्दी-खांसी और फ्लू में नींबू तथा शहद के साथ अदरक की चाय पीना बहुत लोकप्रिय नुस्खा है। अदरक में गर्मी लाने वाले गुण भी होते हैं, इसलिए यह सर्दियों में शरीर को गर्म कर सकती है और सबसे अहम बात यह है कि यह सेहत के लिए हितकारी पसीने को बढ़ा सकती है। सबसे अच्छी बात यह है कि अदरक में सक्रिय पदार्थ होते हैं, जो आसानी से शरीर द्वारा सोख लिए जाते हैं।
जुकाम में हल्दी, शहद और काली मिर्च का सेवन फायदेमंद होता है।
हल्दी का पेस्ट लगाने से चोट और मोच में राहत मिलती है। अंदर के घाव (गुम चोट) में हल्दी का दूध पीना अच्छा होता है। सांस संबंधी रोग में हल्दी का दूध राहत देता है।
तुलसी वैज्ञानिक भाषा में बात करें, तो तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इन गुणों के चलते ही तुलसी आपके लिए लाभकारी साबित होती है। यह कई बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है। इतना ही नहीं सर्दी-जुकाम व श्वासनली से जुड़े रोग व शरीर में आई सूजन को भी तुलसी की मदद से ठीक किया जा सकता है। रोज तुलसी के ताजे पत्ते खाने से इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो सकती है। इतना ही नहीं, यह श्वासनली से जुड़ी बीमारी अस्थमा तक में फायदेमंद साबित हो सकती है। साथ ही कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाली समस्याओं ब्रोंकाइटिस व फेफड़ों में संक्रमण से भी बचाव हो सकता है। इन तमाम बीमारियों में तुलसी कफ को पतला करके उसे शरीर से बाहर निकालती है। साथ ही फेफड़ों की कार्यक्षमता में भी सुधार होता है, जिससे आपको आराम मिलता है
कालीमिर्च
सर्दी और सूखी खांसी में तत्काल राहत दिलाने के लिए काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। यह बुखार को दूर करने का सबसे आसान घरेलू उपचार है। काली मिर्च पाउडर के साथ शहद या दूध होने से आपको ठंड से राहत मिल सकती है और यह धीरे-धीरे खांसी को दूर करने में मदद करेगा। बुखार के दौरान, आधा चम्मच कालीमिर्च और पानी के साथ 2 चम्मच चीनी मिलाएं। यह तापमान को कम करने और बुखार से राहत पाने के लिए इसका सेवन करें। कालिमिर्च में पाइपिरिन होता है जो अवसाद को दूर करने में मदद करता है। यदि आप या आपके करीबी अवसाद से पीडि़त हैं तो दिन में दो बार कालीमिर्च का उपभोग शहद के साथ करें यह आपके तनाव को दूर करने में मदद करेगा।
शहद और उसके फायदे शहद के रोग निवारण गुणों पर निरंतर शोधकार्य चल रहे हैं। यह एक गुणकारी पदार्थ है, जो इंसान के लिए प्राकृतिक उपहार से कम नहीं है। शहद में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें ग्लूकोज, विटामिन, एमिनो अम्ल, खनिज व शर्करा आदि शामिल हैं। ये तत्व मिलकर शहद को एक औषधीय रूप प्रदान करते हैं।सर्दी-जुकाम होने पर आप सुबह उठने के बाद और रात सोने से पहले शहद ले सकते हैं।
आप या तो दो चम्मच शहद का ऐसे ही सेवन कर सकते हैं या फिर एक गिलास गर्म में मिलाकर ले सकते हैं। इसमें एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, जो गले के संक्रमण को दूर कर देते हैं। गले की खराश और तेज खांसी से होने वाले दर्द के लिए भी शहर काफी फायदेमंद है। खासकर बच्चों के लिए यह एक प्राकृतिक इलाज है।
क्या है रोग प्रतिरोधक क्षमता
हमारे आसपास के वातावरण में बहुत से बैक्टीरिया और वायरस मौजूद होते हैं जो सांस के साथ हमारे शरीर के अंदर जाते हैं लेकिन ये सभी सूक्ष्मजीव हमें नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं क्योंकि हमारे शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा तंत्र इनसे हमारी सुरक्षा करता है। अगर आपके शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है तो आप जल्दी-जल्दी बीमार नहीं होंगे लेकिन किसी कारण से आपका ये तंत्र अगर कमज़ोर हो गया है तो आए दिन बीमार होने की समस्या से आपको जूझना पड़ेगा। क्योंकि बाहरी कीटाणुओं की ताकत जब हमारे इम्यून सिस्टम की ताकत से कहीं ज़्यादा होती है तो ये रोग प्रतिरोधक तंत्र इन कीटाणुओं से लडऩे और इन्हें हराने में कामयाब नहीं हो पाता।
( एक्सपर्ट राय-पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ राजेश शर्मा व चिराना के वैद्य चंद्रकांत गौत्तम ने पत्रिका को बताया।)