झुंझुनूं जिले के बगड़ में संचालित 104 एम्बुलेंस 12 साल पुरानी है। एम्बुलेंस चालक पिछले दिनों मंड्रेला में आयोजित नसबंदी शिविर में से एक महिला को लेकर उसके गांव गया। वहां जाने पर करीब 15 मिनट तक एम्बुलेंस का फाटक नहीं खुला। इस पर उसने झुंझुनूं में एक वर्कशॉप संचालक को फोन किया। उसके बताए अनुसार दरवाजे को धीरे-धीरे ठोका गया, तब जाकर फाटक खुला।
1. रतनगढ़ के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने 26 फरवरी को ही एम्बुलेंस संचालन करने वाली मार्डन इमरजेंसी सर्विसेज को लिखा है कि रतनगढ़ में 6-7 जननी एक्सप्रेस एम्बुलेंस का संचालन बिना फिटनेस के हो रहा है जो कि अवैध है। इसके अलावा एम्बुलेंस में फ्यूल नहीं होने के कारण केस नहीं लिए जाने की शिकायतें भी मिल रही है। इससे मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
2. दिनांक 26 फरवरी को ही सीकर के फतेहपुरा चिकित्सा अधिकारी प्रभारी ने सीएमएचओ को लिखा है कि वहां कार्यरत 104 एम्बुलेंस 12 साल पुरानी है। इस कारण इसका फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा। गाड़ी के बाहरी व अंदर की तरफ से बॉडी क्षतिग्रस्त है। गेट पूरी तरीके से खुल नहीं रहा है। हैड लाइट टूटी हुई है।
3. झुंझुनूं में एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष मनेन्द्रसिंह ने सीएमएचओ को लिखा है कि वर्ष 2021 में झुंझुनूं जिले में 16 एम्बुलेंस मिली थीं। हैंडओवर के समय ही इन सभी गाडि़यों को कंडम घोषित कर दिया गया था। इसके बावजूद गाडि़यों को काम में लिया गया। अब भी 7-8 गाडि़यां उसी कंडीशन में चल रही हैं।
4. उदयपुर सीएमएचओ को एम्बुलेंस चालकों ने ज्ञापन देकर आरोप लगाया कि उन पर कम्पनी के अधिकारी रोजाना 2 केस करने का दबाव बनाते हैं। ऐसा नहीं करने पर नौकरी से हटाने की धमकी दी जाती है। फ्यूल नहीं होने से पेट्रोल पम्प पर चार-पांच घंटे तक खड़े रहना पड़ता है।
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प्रदेश के लिए 600 एम्बुलेंस का टेंडर हुआ था। उनमें से 150 गाडि़यां तो हमनें हाथोंहाथ खरीद कर दे दी थी। शेष 450 को चरणवार रिप्लेसमेंट करना था। जिनमें से सरकार ने 200 गाडि़यों के रिप्लेसमेंट का ऑर्डर दिया। इसके अलावा 70 एम्बुलेंस एमपी व एमएलए कोटे से आ गई। शेष 180 एम्बुलेंस कंडम हैं। इसके लिए सरकार को कई बार पत्र लिख चुके हैं। सरकार का कहना है कि हमारे पास बजट नहीं है। सरकार के आदेश मिलते ही हम इन एम्बुलेंस को बदल देंगे। उनकी जगह फिलहाल प्राइवेट गाडि़यां (रिजर्व एम्बुलेंस) लगा रखी है।
-सुनील अग्रवाल, सीईओ, मार्डन इमरजेंसी सर्विसेज
प्रदेश में 600 जननी एक्सप्रेस और 100 ममता एक्सप्रेस हैं। इनमें से 350 गाडि़यां ही बदली गई हैं। वैकल्पिक के नाम पर 100 प्राइवेट गाडि़यां लगा रखी हैं जिनका एम्बुलेंस में पंजीयन नहीं है, गैस किट में चल रही है। कुछ प्राइवेट गाडि़यां केस भी नहीं लेती, ऐसे भी मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार के स्तर पर जांच हो तो बहुत बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है। चिकित्सा मंत्री को ज्ञापन देकर सभी परेशानियों से अवगत करा दिया गया है।
-सूरजाराम, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान प्रदेश एम्बुलेंस कर्मचारी संघ