झांसी. एसपी सिटी के रूप में तैनात आईपीएस गरिमा सिंह के जीवन का सपना मंगलवार को पूरा हो गया। अपनी चाहत के अनुरूप उनका चयन आईएएस में हो गया। उनकी सामान्य की 91 सीट्स में 55 रैंक है। वह बताती हैं कि यह सब उनके पेरेंट्स की दुआओं और एक आईपीएस की ड्यूटी से मिले वक्त में की गई तैयारी से ही संभव हो सका है। आईएएस का रिजल्ट आने के बाद वह इतनी खुश थीं, कि उनकी भूख तक गायब हो गई। मोबाइल फोन पर चारों तरफ से बधाइयों का सिलसिला जब शुरू हुआ, तब भी वह अपनी आईपीएस की ड्यूटी पर थीं। वह कई मामलों के खुलासे के दौरान पत्रकारों के बीच में ही थी।
Video: पत्रिका उत्तर प्रदेश से गरिमा सिंह ने की खास बातचीत
स्कैचिंग व कविता का है शौक
आईपीएस से आईएएस बनीं गरिमा को स्कैचिंग करना बहुत अच्छा लगता है। वह कहती हैं कि किसी का भी स्कैच वह फटाफट तैयार कर देती हैं। जब कभी भी ड्यूटी की बेहद व्यस्त जिंदगी में थोड़ा सा भी वक्त मिलता है, तो वह या तो स्कैचिंग करती हैं या फिर नोबेल पढ़ती हैं। जब अनुकूल और शांत माहौल मिलता है तो उनका मन कविता लिखने को भी करता है। उन्होंने अनेक कविताएं भी लिखी हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई
आईपीएस से आईएएस बनीं गरिमा सिंह ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कालेज से बीए और एमए की पढ़ाई की है। उनका अपना मन तो एमबीबीएस करके डाक्टर बनने का था, लेकिन पापा उन्हें सिविल सर्विसेज में देखना चाहते थे। इंजीनियर पिता ओमकार नाथ सिंह की बेटी गरिमा ने अपने पापा की भावना का ख्याल करते हुए सिविल सिर्विसेज की तैयारी की। परीक्षा दी, तो पहली ही बार में आईपीएस में सिलेक्शन हो गया। वह 2012 बैच की आईपीएस हैं। पुलिस की जिम्मेदारी वाली ड्यूटी ने उन्हें जॉब सेटिसफेक्शन बहुत दिया है। एक आईपीएस की ड्यूटी निभाने के दौरान ही मिले समय में उन्होंने आईएएस की तैयारी की। करीब तीन साल की ड्यूटी के दौरान उन्होंने बहुत अच्छा महसूस किया। इसी बीच उन्होंने तैयारी जारी रखी। ड्यूटी से कभी कोई समझौता नहीं किया। जब भी जहां भी ड्यूटी पर लगाया गया, चाहे अतिक्रमण हटवाने की जिम्मेदारी हो या वीआईपी ड्यूटी की, गरिमा सिंह हर जगह नजर आईं। आज आईएएस का रिजल्ट आने पर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने इसके लिए अपने पेरेंट्स और ईश्वर का धन्यवाद किया।
भुलाए नहीं भूलता वह वाकया
आईपीएस से आईएएस बनीं गरिमा सिंह को अपनी जिंदगी का वह वाकया भुलाए नहीं भूलता है। वह अपनी स्टूडेंट लाइफ को याद करते हुए बताती हैं कि वह एक रात मॉल से वापस हॉस्टल आ रही थीं। तभी चेकिंग के दौरान उनसे रात में घूमने का कारण पूछा गया। इसी के साथ 100 रुपये देकर जाने की बात कही गई। न देने पर घर वालों से शिकायत करने की बात कही गई। हालांकि, बाद में उन्हें जाने दिया गया। एक समय उनसे पैसे मांगने वाली पुलिस आईपीएस बनने के बाद उन्हें सैल्यूट करती नजर आई। अब उनका सिलेक्शन आईएएस में हो गया है, तो अब वह नई जिम्मेदारी भरी पारी की तरफ देख रही हैं।
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लखनऊ में रहीं बतौर एएसपी
सन् 2012 बैच की आईपीएस गरिमा सिंह दो साल तक लखनऊ में अंडर ट्रैनिंग एएसपी रहीं। वह बलिया जिले के कथौली गांव की रहने वाली हैं। पापा इंजीनियर हैं।
पति हैं इंजीनियर
गरिमा की शादी इसी साल 25 जनवरी को हुई। उनके पति राहुल इंजीनियर हैं और इन दिनों नोएडा में उनकी जॉब है। उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री की है।