बीमारी के इलाज के लिए लिया कर्ज झांसी जनपद के बबीना ब्लॉक के ग्राम खजराहा बुजुर्ग के 38 वर्षीय किसान विक्रम अहिरवार ने डेढ़ एकड़ जमीन पर फसल बोई थी। सूखे की चपेट में आकर खेती बर्बाद हो गई तो बैंक और साहूकार का कर्ज चुकाने की उम्मीद भी दम तोड़ गई। इन सबके बीच बेटी की बीमारी के बारे में पता चला। डाक्टरों ने बताया कि बेटी के दिल में सुराख है। बेटी को बचाने के लिए विक्रम ने साहूकारों से भी कर्ज ले लिया।
हिम्मत हारकर कर ली ख़ुदकुशी अस्पतालों के चक्कर काटते हुए जब बेटी के इलाज में सफलता नहीं मिली और कर्ज चुकाने के दवाब बढ़ने लगा तो उसने जिंदगी से हार मान ली। विक्रम 18 दिसम्बर की रात को पत्नी और बच्चों को घर में छोड़ रेलवे लाइन पर पहुंच गया और ट्रेन से कटकर खुदकुशी कर ली।
सदमे में है परिवार 35 साल की राजकुमारी पति के मौत के बाद से सदमे में है। उस पर सास रामकली और दो बच्चों की जिम्मेदारी है। दो बच्चों में एक बीमार बेटी दीक्षा भी है जिसका इलाज कराना उसके लिए बड़ी चुनौती है। दीक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में कक्षा 4 में पढ़ती है और 12 साल का बेटा पंजाब पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है। राजकुमारी कहती हैं कि कोई उसकी बेटी का इलाज करा दे बड़ी कृपा होगी।
सामाजिक संस्था ने बढ़ाया कदम परमार्थ समाजसेवी संस्था के संयोजक संजय सिंह ने इस किसान परिवार की मदद के लिए कदम बढ़ाया है। साथ ही समाज के अन्य लोगों से आगे बढ़कर मदद की अपील की है। संजय कहते हैं कि समाज को आगे आकर इस बच्ची की जिंदगी बचाने की मुहिम से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि परमार्थ संस्था बच्ची के इलाज में मदद करेगी और समाज से भी मदद की अपील जारी रखेगी।