झांसी जिले की मऊरानीपुर तहसील में भीषण पेयजल संकट है। यहां के मऊरानीपुर नगर पालिका परिषद और रानीपुर नगर पंचायत को सपरार बांध से जलापूर्ति की जाती रही है। बाद में रानीपुर की आपूर्ति एक इंटेकवेल के माध्यम से होने लगी। लेकिन, लगातार कम हो रही बारिश और बढ़ते जनसंख्या घनत्व के दबाव के कारण ये बांध व ये इंटेकवेल यहां की जलापूर्ति पूरी नहीं कर पाते। इसलिए लोगों को भीषण पेयजल संकट झेलना पड़ता है। इसी के मद्देनजर जलनिगम की ओर से 203.63 करोड़ रुपये की एक परियोजना बनाई गई है। इसके माध्यम से मऊरानीपुर नगर पालिका परिषद, रानीपुर नगर पंचायत और कटेरा नगर पंचायत के लोगों को बेतवा नदी से पेयजल मुहैया कराने की योजना है। यह परियोजना करीब दो साल पहले नगर विकास विभाग को स्वीकृति के लिए भेजी गई, लेकिन तब से वहीं अटक कर रह गई। इस योजना में वर्ष 2049 तक की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए पानी का इंतजाम करने का प्लान है।
इसके अलावा एरच बहुउद्देश्यीय परियोजना के उद्गम स्थल के रूप में पहचान रखने वाले जुझारपुरा से जुड़े 29 गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने की योजना भी शासन के स्तर पर लंबित पड़ी है। जल निगम ने करीब दो साल पहले 97 करोड़ रुपये की परियोजना को आकार दिया था। राज्य स्तरीय समिति के अनुमोदन के बावजूद स्थिति जस की तस है। कुछ इसी तरह का हाल गरौठा क्षेत्र के बीस गांवों की प्यास बुझाने के लिए बनाई गई मल्हेटा ग्राम समूह पेयजल योजना, बेहतर ग्राम समूह पेयजल योजना, उजयान ग्राम समूह पेयजल योजना, चमरउआ ग्राम समूह पेयजल योजना और शीला ग्राम समूह पेयजल योजना के साथ ही विभिन्न परियोजनाओं का है। लोगों की प्यास बुझाने के लिए करोड़ों रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं को हरी झंडी मिलने के इंतजार में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है। ऐसे में लोगों की एक मात्र आस शासन की ओर लगी हुई है। लोगों को इंतजार है कि कब इन परियोजनाओं को मंजूरी मिलने के साथ ही इन पर काम शुरू हो और लोगों को पेयजल संकट से निजात मिले।