10वीं सदी के परमार काल की यह मूर्ति असनावर के समीप रंगपाटन से मिली थी
झालावाड़•Sep 07, 2023 / 11:27 am•
jagdish paraliya
झालावाड़ के राजकीय संग्रहालय के भंडार में रखी पाषाण प्रतिमा जिस पर पूरी रासलीला अंकित है।
झालावाड़. जिले में कृष्ण के अनेक स्वरूपों के मन्दिर, मूर्तियां एवं चित्र मिल जाएंगे लेकिन गढ़ परिसर स्थित संग्रहालय में पाषाण की एक मूर्ति ऐसी भी जिसमें पूरी रासलीला अंकित है। यह मूर्ति बाल स्वरूप की लीला तथा परिवेश का पूरा परिचय देती है। इस मूर्ति में एक चौकोर, पाषाण पर बीच में यमुना नदी का ²श्य है। इसके दोनों ओर कृष्ण के सामाजिक और सांस्कृतिक बाल जीवन का चित्रण है।
नदी के मध्य में ऊपर कृष्ण का अंकन, उसके नीचे, मछली तथा उसके नीचे तैरते सर्प का अंकन है। नदी के बाईं ओर कृष्ण की माखन लीला, वनक्रीड़ा, गोप-गोपी, पूतना का दूध चूसना व दक्षिण भाग में शंख, कछुआ व गायें चराने का सुन्दर अंकन है। इस मूर्ति के फलफ में कृष्ण की बाल लीला को आसानी से समझा जा सकता है। यह अंकन को खम्भों के बीच में बना हुआ है।
स्टैंड के अभाव में प्रदर्शित नहीं की
इतिहासकार ललित शर्मा के अनुसार यह मूर्ति असनावर के समीप रंगपाटन से मिली थी जो 10वीं सदी के परमार काल की है। इसमें कृष्ण द्वारा गोपी के सिर पर रखी मटकी से माखन चुराने का ²श्य बड़ा सुन्दर है। इसमें कृष्ण की चतुरता दिखाई देती है। इसमें सर्प का अंकन तीन फनों वाला है। वर्तमान में सह मूर्ति झालावाड़ पुरातत्व विभाग के भण्डार में सुरक्षित हैं। इसे मूर्ति कक्ष में प्रदर्शित किया जाना शेष है। संग्रहालय में कनिष्ठ सहायक अजय शर्मा ने बताया कि मूर्ति अभी भंडार में है। मूर्ति काफी वजनदार है और स्टैंड नहीं होने से अभी यह प्रदर्शित नहीं की गई है। इस संबंध में विभाग को पत्र लिख कर स्टैंड बनवाया जाएगा ताकि यह मूर्ति भी पर्यटकों के लिए प्रदर्शित की जा सके।
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