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जगह-जगह इसमें दरारें पड़ गई है। फर्श उखड़ गया है और अधिकांश जगह जंगल उग आया है। इस ट्रैक की कुल लागत 7 करोड़ 50 लाख रुपए है। इसमें आरएसआरडीसी ने 5 करोड़ से कार्य कराए हैं। 90 लाख का बजट अभी उसके पास बचा है। वहीं एक करोड़ रुपए का कार्य नगर परिषद को कराना है। शनिवार सुबह इस वॉकिंग ट्रैक का पत्रिका टीम ने जायजा लिया। सबसे बड़ी समस्या तो वॉकिंग ट्रैक पर एंट्री की है। इधर, कालीदास कॉलोनी की तरफ जंगली बबूल की भरमार हो रही है। वहीं प्रवेश द्वार पर भी कचरे का ढेर लगा है जबकि इसी मार्ग पर यहां संतोषी माता का मंदिर भी वहीं दूसरी ओर टेरेस गार्डन की तरफ हनुमान मंदिर से होते हुए एंट्री है लेकिन यहां मंदिर के दरवाजे पर हर समय ताला लगा रहता है। पूरे वॉकिंग ट्रैक का जायजा लेने पर पाया कि कुछ जगह यह अभी भी अच्छी हालत में है। यानि थोड़े से प्रयास और लगातार रखरखाव से इसे शुरू किया जा सकता है लेकिन इसके लिए जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर जाना चाहिए और इच्छाशक्ति होनी चाहिए।
हट के दरवाजे उखाड़ ले गए: वॉकिंग ट्रैक पर रिफ्रेशमेंट हट भी बनाई गई है लेकिन उपयोग नहीं होने से यह जर्जर हो चुकी है। इसके दरवाजे भी उखाड़ कर ले गए। यह इन दिनों आपराधिक तत्वों की शरण स्थली बनी हुई है।
इनका कहना है….
वॉकिंग ट्रैक नगर परिषद को हैंडओवर करना है। करीब 1 करोड रुपए से यहां लाइट आदि लगानी है। छोटे-मोटे रिपेयरिंग के काम है। यह काम नगर परिषद को करने हैं। जिला कलक्टर से भी बात हुई है। उन्होंने भी इसे नगर परिषद को हैंडओवर करने को कहा है।-मनोज माथुर, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरएसआरडीसी
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जिला कलक्टर ने हमें सफाई करवाने के लिए कहा था। लाइट व अन्य कार्यों के लिए आरएसआरडीसी से पैसा ट्रांसफर होगा तो उसके बाद काम करवाया जाएगा। हालांकि वॉकिंग ट्रैक अभी हमें हैंडओवर नहीं हुआ।-अशोक शर्मा, आयुक्त, नगर परिषद
अधूरा ट्रैक नहीं लेना चाहती: आरएसआरडीसी वाकिंग ट्रैक को नगर परिषद को हैंड ओवर करना चाहती है लेकिन काम अभी काम अधूरा होने से नगर परिषद इसे नहीं लेना चाह रही, इसको लेकर मामला अधरझूल में फंसा हुआ है।