कांतिलाल भूरिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1972 में छात्र नेता के रूप में की थी। कांतिलाल भूरिया ने शहीद चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय में छात्र नेता के रूप में की थी। कांतिलाल भूरिया विधायक, सांसद भी रह चुके हैं।
1974 में लॉ करने के बाद उनका चयन राज्य प्रशासनिक सेवा के जरिए डीएसपी पद के लिए हुआ था, लेकिन उन्होंने नौकरी करने की बजाए राजनीति को चुना। भूरिया थांदला विधानसभा सीट से 1980 से 1996 तक लागातार पांच बार विधायक रहे। इस दौरान वो अर्जुन सिंह की कैबिनेट में संसदीय सचिव रहे तो दिग्विजय सिंह की सरकार में आजाक मंत्री बने। कांतिलाल भूरिया 1998 झाबुआ-रतलाम संसदीय सीट से पहली बार सांसद बने। इसके बाद वो 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा सांसद रहे। उन्हें 2014 और 2019 में हार का सामना करना पड़ा।
कांतिलाल भूरिया डॉ मनमेहन सिंह सरकार के पहले टर्म में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री रहे। वहीं, मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में कांतिलाल भूरिया केन्द्रीय ट्राइबल मंत्री रहे। 2011 में उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 2013 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
मध्यप्रदेश में 2018 में किसी भी दल को पूर्व बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और कमलनाथ ने एक निर्दलीय को कैबिनेट मंत्री बनाया है। मध्यप्रदेश में पूर्ण बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत है। अगर कांतिलाल भूरिया इस सीट पर जीत दर्ज करते हैं तो मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार पूर्ण बहुमत में आ जाएगी। ऐसे में कांतिलाल भूरिया कमलनाथ के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार को अभी बसपा, सपा और 4 निर्दलीय विधायकों का भी समरर्थन मिला हुआ है।