एसपी न बनने का आज भी मलाल
स्वभाव से तेज-तर्रार रजनी सिंह महज पांच साल की उम्र से एसपी बनने की चाहत रखती थीं। घर में जब भी कोई उन्हें डांटता तो वह एक ही बात कहती थीं, रुक जाओ एसपी बनकर सभी को डंडे से ठीक करूंगी। तब जिले में एसपी रही आइपीएस अफसर आशा गोपालन उनकी आइडियल थीं। उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने आइपीएस बनने की ठानी और बीई करने के बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं, लेकिन शायद उनके भाग्य में एसपी बनना नहीं लिखा था। वह तीन बार यूपीएससी निकालने में असफल रहीं। तब उन्होंने चौथी बार आइपीएस की जगह आइएएस के लिए यूपीएससी दी और सफल रहीं। 2013 की यूपीएससी में उनकी 55वीं रैंक आई और वह आइएएस के लिए चयनित होकर परिवार के साथ जिले का नाम भी रोशन किया था। रजनी सिंह का कहना है कि वह एसपी नहीं बन सकीं, इसका उन्हें आज भी मलाल है। शायद मेरे भाग्य में कलेक्टर बनना लिखा था, इसलिए मैं यूपीएससी में तीन बार असफल रही।
व्यवस्थाएं ठीक करना पहली प्राथमिकता
वर्तमान में अपर आयुक्त इंदौर संभाग की जिम्मेदारी संभाल रही रजनी सिंह का कहना है कि सरकार ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरा करना है। मेरी कलेक्टर के रूप में पहली प्राथमिकता जिले की व्यवस्थाओं को ठीक करना रहेगी। योजनाओं का किन्यान्वयन ठीक से हो और अंतिम आदमी तक योजनाओं का लाभ पहुंचे यह मेरी प्राथमिकता होगी।