भानु भूरिया युवा मोर्चे के जिलाध्यक्ष हैं और रानापुर जनपद क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। भानू भूरिया के पिता बालु भूरिया कई वर्षों तक कांग्रेस में रहे इसलिए भानु भूरिया कांग्रेस नेताओं से भी अच्छे रिश्ते हैं। भानू भूरिया दिवंगत सांसद दिलीप सिंह भूरिया के रिश्तेदार भी हैं। भाजपा ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के सामने एक युवा चेहरे पर दांव लगाया है। भानू भूरिया ने 2018 के चुनाव में भी अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन भाजपा ने जीएस डामोर को टिकट दिया था। भानू भूरिया 2008 में निर्दलीय विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।
जेवियर मेड़ा ने विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 2008 में जब मैं पहला चुनाव लड़ रहा था तो कांतिलाल भूरिया ने भानू भूरिया को चुनाव में खड़ा करवाया था।
इन नामों पर भी हुई थी चर्चा
बीजेपी के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है। उम्मीदवार चयन को लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत में चर्चा हुई थी। उसके बाद तीन नामों पर मुहर लगा केंद्रीय नेतृत्व के पास भेज दिया था। जिसमें भानु भूरिया, शांतिलाल बिलावल और गोविंद अजनार का नाम था। लेकिन फाइनल मुहर भानु भूरिया के नाम पर लगी।
झाबुआ विधानसभा सीट भाजपा विधायक जीएस डामोर के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जीएस डामोर ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
23 सितंबर से नाम निर्देशन की पत्र भरे जाएंगे। 30 तारीख को नामांकन जमा करने की अंतिम तारीख 1 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 3 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। 21 अक्टूबर को मतदान होगा। 24 अक्टूबर को परिणाम घोषित होंगे।