झाबुआ

Bhagoriya Mela 2024: विश्व प्रसिद्ध है भगोरिया मेला, जानिए किसने की थी इसकी शुरुआत

Bhagoria Festival 2024: भगोरिया पर्व की शुरुआत राजा भोज ने शुरू की थी….24 मार्च तक चलेगा भगौरिया मेला…।

झाबुआMar 19, 2024 / 05:00 pm

Nisha Rani

MP Bhagoriya Mela 2024: सात दिन तक चलने वाला यह मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र धार, मध्‍य प्रदेश के झाबुआ, खरगोन, अलीराजपुर, करड़ावद जैसे क्षेत्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। होली के मौके पर आदिवासी बहुल इलाके में लगने वाले भगौरिया पर्व के मौके पर इसका नजारा आज भी देखने को मिलता है। जहां प्यार, शादी, व्यापार, सामाजिक सद्भाव के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। ये परंपरा कई साल से चली आ रही है और इसका मतलब भी बाकी जगहें के होली के त्योहार मनाने से काफी अलग है।

 


इतिहासकार डॉ. केके त्रिवेदी के अनुसार लोक संस्कृति के उत्सव भगोरिया का इतिहास करीब साढ़े चार सौ साल पुराना है। झाबुआ जिले के छोटे से गांव भगोर जिसे भृगु ऋषि की तपोस्थली कहा जाता है, वहां से शुरू होकर ये आदिम उल्लास का उत्सव मालवा में रतलाम तक तो निमाड़ में कुक्षी, बड़वानी से लेकर खरगोन तक पहुंच गया। इस तरह से भगोरिया उत्सव का शुभारंभ हुआ।

 

 


भगोरिया महोत्सव आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। मान्यता है कि भगोरिया पर्व की शुरुआत राजा भोज ने शुरू की थी। उस समय दो भील राजा कासूमरा और बालून ने अपनी राजधानी में भगोर मेले का आयोजन किया था। धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया, इस हाट और मेले को भगोरिया कहने का चलन बन गया।

 

कैसे होती है शादी
भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सज-धजकर अपने भावी जीवनसाथी को ढूंढ़ने आते हैं। इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है। सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो इसे समझा जाता है कि लड़की ने हां कर दी है। फिर लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से ही भाग जाता है और दोनों शादी कर लेते हैं। इसी तरह अगर युवक, युवती के गालों पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी उसके गाल पर गुलाबी रंग लगा दे, तो भी यह रिश्ता तय माना जाता है।

क्या होता है भगोरिया
कई लोगों की यह मान्यता है कि भगोरिया का अर्थ है भाग कर शादी करना। हालांकि हाल ही के वर्षों में शिक्षित युवा ने भगोरिया के माध्यम से चलन को नकारना शुरू कर दिया है। इसका मुख्य कारण भगोरिया समुदाय आ रही शहरी बदलाव है।

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