ब्लॉक अति कुपोषित कुपोषित
झाबुआ 120 718
मेघनगर 333 1960
पेटलावद 553 2718
रामा 325 1613
राणापुर 360 1347
थांदला 270 994
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कुल 1961 9350 —————————————————— 6 पोषण पुनर्वास केंद्र का क्षमता अनुसार उपयोग नहीं –
जिले में 6 पोषण पुनर्वास केंद्र बनाए हैं। इनमें कुल 80 बेड की सुविधा है। झाबुआ में 20 , मेघनगर में 20 , पेटलावद में 10 , राणापुर में 10 , रामा में 10 और थांदला में 10 बेड उपलब्ध हैं, लेकिन साढ़े 9 हजार के लगभग कुपोषित बच्चे जिले में होने के बावजूद एनआरसी खाली पड़े रहते हैं।
आंगनबाड़ियों की हालत –
आंकड़ों के मुताबिक जिलों में 2300 आंगनबाड़ी संचालित की जा रही है। यहां 80000 से अधिक बच्चों का पंजीयन है। 1467 आंगनवाड़ी केंद्रों को अधिकारियों ने गोद लिया है। 358 अन्य व्यक्तियों ने आंगनबाड़ियों की मरम्मत और रंगाई पुताई की जिम्मेदारी उठाई है। 788 आंगनवाड़ी केंद्र किराए के भवन में संचालित हो रही है। 200 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्र जर्जर हो चुके हैं।
शासन की योजनाएं भी कारगर नहीं –
जिले वासियों के स्वास्थ्य के लिए शासन कई योजनाएं चला रही है। योजनाओं के उचित क्रियान्वयन पर ध्यान नहीं देने के कारण इन योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है। सरकारी राशन वितरण हो या स्वास्थ्य के लिए चलाए जा रहा दस्तक अभियान, इसके अतिरिक्त जिले की 375 ग्राम पंचायत में विकासखंड स्तर पर स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी किया जा रहा है , सभी जगह सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
सीधी बात – अजय सिंह चौहान, सहायक संचालक, महिला बाल विकास विभाग झाबुआ
Q – आंगनवाड़ियों को अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने गोद लिया था। क्या इससे आशानुरूप परिणाम मिले।
A – जिस तरह की आशा थी ऐसे परिणाम सामने नहीं आए हैं।
Q – क्या कारण है कि अधिकतर पोषण पुनर्वास केंद्र खाली रहते हैं।
A- जागरुकता की कमी है। गरीबी भी एक कारण है। बड़ी वजह है कि कुपोषित बच्चे के अभिभावक भी इलाज में रुचि नहीं लेते।
Q – जिले में कुपोषण से निपटने के क्या प्लान है।
A- आंगनबाड़ी और हेल्थ टीम के माध्यम से बच्चों को सुपोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मां और बच्चों को खान-पान के लिए जागरूक करने के लिए एनजीओ के साथ मिलकर शिविर लगाएंगे। भोजन और दवा दोनों के माध्यम से कुपोषण को रोकने के प्रयास किए जाएंगे।