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शहर का एकमात्र हाईस्कूल मैदान ठेका एजेंसी के गोदाम में तब्दील जानकारी के अनुसार गुरूवार की सुबह जब ग्राम जरिया के ग्रामवासी सो कर उठे तो गांव के सड़क और मैदान में दो नर दंतैल जंगली हाथियों को गांव के खेतों में विचरण करते देख ग्रामीणों के होश उड़ गए। बस्ती में घुस आए हाथियों को खदेड़ने के लिए ग्रामवासी एकजुट हुए और शोर मचा कर, हाथियों को गांव के पास के जंगल में खदेड़ा। बस्ती से निकल कर दोनो दंतैल हाथी जंगल और पास की नहर के बीच में दिन भर डेरा जमाएं रहे।
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सड़क दुर्घटना में एक आरक्षक व एक प्रधान आरक्षक की पत्नी की दर्दनाक मौत उल्लेखनीय है कि जिले में हाथी प्रभावित क्षेत्र का तेजी से विस्तार होता जा रहा है। जिले के 8 में से 5 ब्लाक, फरसाबहार, पत्थलगांव, दुलदुला, कुनकुरी और बगीचा, घोर हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं। जबकि जशपुर, मनोरा में साल में दो-तीन बार ही हाथियों की हलचल देखी जाती है। जानकारों के अनुसार पड़ोसी राज्य ओडिशा और झारखंड में तेजी से विकसित हो रहे उत्खनन उद्योग से सिमट रहे वन्य क्षेत्र से बेघर हुए हाथी, सुरक्षित ठिकाने की तलाश में छत्तीसगढ़ की ओर पलायन कर रहे हैं। जिले के तपकरा, कुनकुरी और दुलदुला वन परिक्षेत्र में स्थित घने जंगल और पानी की प्रचूर मात्रा में उपलब्धता, यहां आने वाले प्रवासी हाथियों को खूब भा रही है। यहीं कारण है कि, इन क्षेत्रों में लगभग साल भर हाथियों की हचचल बनी रहती है।