कार्ययोजना कागजों तक ही रही सीमित : एलीफेंट कॉरिडोर में जिले की एकमात्र बादलखोल अभ्यारण्य के साथ सरगुजा और तमोर पिंगला और सेमरसोत अभयारण्य को भी शामिल किया गया था। एलीफेंट कॉरीडोर की इस मूल योजना में रायगढ़ जिला भी शामिल था। वन विभाग के मुताबिक जशपुर के बादलखोल और सरगुजा जिले के सेमरसोत व तमोर पिंगला अभ्यारण को शामिल कर 10 किमी चौड़ी पट्टी क्षेत्र का विकास जंगली हाथियों के सुरक्षित आवास और आवागमन के लिए सुवधिाओं को विकसीत करने के लिए किया जाना था। इस कॉरिडोर के स्थापना के बाद जहां जंगली हाथियों को सुरक्षित आवास का विकास किया जाना था। कॉरीडोर क्षेत्र में हाथियों के लिए चारागाह और जल स्त्रोतों के विकास को प्राथमिकता भी दी गई थी। कॉरीडोर क्षेत्र में हाथियों के लिए प्राकृतिक आवास विकसीत कर वन क्षेत्रों में हाथियों की समेटने की मंशा सरकार की थी। कॉरीडोर निर्माण को हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश सरकार कॉरिडोर विकास में आने वाले व्यय के आंकलन में भी जुट गया था, लेकिन अभी तक ऐलीफेंट कॉरिडोर का काम पूर्ण नहीं हो सका है।
कॉरिडोर में लगाए जाएंगे बांस : नया हाथी कॉरिडोर झारखंड ओडि़सा से लगे हुए गांवों के साथ दुलदुला, तपकरा, कांसाबेल, पत्थलगांव, सीतापुर और रायगढ़ जिले के कापू तक तैयार किया जाएगा। इस कॉरिडोर में कई लोगों के निजी भूमि और खेत भी आ रहे हैं। विभाग ने ऐसे लोगों का चिंहाकन भी कर लिया है और उनसे बात करके उनके खेतों के मेड़ो में बांस लगाने की सलाह दे रही है। विभाग का मानना है कि बांस लगाए जाने से हाथियों को खाने के लिए चारा भी मिल जाएगा और यदि खेतों में हाथी पहुंच कर बांस खाने के लिए तोड़ेगा तो उसकी आवाज से लोग भी सर्तक हो जाएंगे। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक ५०० किसानों के साथ बास लगाने की बात पर सहमती भी बन गई है।
& ओडिशा और झारखंड के बार्डर से एलीफेंट कॉरिडोर बनाए जाने की योजना है और इस पर काम भी चल रहा है। कॉरिडोर में हाथियों के आवास के साथ भोजन और पानी की भी व्यवस्था की जाएगी। बांस लगाने के लिए किसानों ने अपनी सहमति दे दी है।
श्रीकृष्ण जाधव, डीएफओ जशपुर