इसके बाद जिला प्रशासन, पुलिस की टीम भी कोशिश करने लगे। बाद में बाहर से बड़ी संख्या में पुलिस की टीम बुलाई गई। तब जाकर पुलिस ने अपने तरीके से समझाया। तब जाकर मामला शांत हुआ। यह हंगामा पूरे दिन चलता रहा। चोटिल बंदी दुर्गेश नाई, भरत व (CG CRIME NEWS) एक अन्य को जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां बंदियों ने पत्रकारों से कहा कि हम लोगों को मारने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल बुलाया गया है, हाथ व गर्दन में खून बह रहा है, पुलिस द्वारा मारा गया है।
जबकि पुलिस व प्रशासन का कहना है कि टीम को देखकर बंदी अपने से ब्लेड लेकर हाथ व गर्दन को काट डाला। बहरहाल इस मामले में जेल प्रबंधन व जिला प्रशासन टीम गठित कर जांच करने की बात कह रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जेल में बंद बंदियों की हिम्मत इतना बुलंद कैसे हो गया है। पुलिस के सामने ही जेल अधीक्षक व पुलिस को गाली-गलौच किया जा रहा था। कुल मिलाकर देखा जाए तो जेल प्रबंधन व प्रशासन कसावट जिला जेल में पूरी तरह से फेल है।
दो माह पहले बंदी की मौत में भी हुआ था हंगामा दो माह पहले भी जिला जेल में एक बंदी फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था। इसमें जेल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई थी, प्रहरी होने के बावजूद भी आखिर सबसे सेफ जगह में कैसे आत्महत्या कर लिया गया। माने कुल मिलाकर जेल में कर्मचारी ड्यूटी के नाम (Panic of prisoners) पर खानापूर्ति कर रहे हैं। इसको लेकर भी जेल में जमकर हंगामा हुआ था। इसमें पत्रकारों से बात करने के लिए जेलर सामने ही नहीं आ रहा था। परिजनों ने भी मारपीट का आरोप लगाया था।
आखिर कैसे पहुंचा नशे का सामान? यहां पर सबसे बड़ी बात यह है कि जिला जेल में आसानी से नशे का सामान कैसे पहुंच जा रहा है। यह गंभीर विषय है। इस संबंध में जांच होनी चाहिए। हालांकि जेल प्रबंधन का कहना है कि जेल के दीवार से फेंककर परिजनों व दोस्तों द्वारा बंदी को नशे का सामान पहुंचाया जाता है।
पैसे लेकर पहुंचाया जाता है सामान रविवार को एक बंदी ने पत्रकारों को इतना कह दिया कि एकाउंट में कर्मचारियों का पैसा भी ट्रांसफर होता है। इसके बदले सारी सुविधा मिलती है, सूत्रों की माने तो जिला जेल में पैसा के दम पर आपको सभी प्रकार का ऐशो आराम आसानी से मिल जाएगा। मुख्य गेट में तैनात प्रहरियों को परिजन पैसा देते हैं और सामान आसानी से सामान अंदर चला जाता है। बशर्ते इसके लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। इसका खुलासा भी जेल से निकलने के बाद एक-दो बंदी कर चुके हैं। ।
पैसा लेकर भेजते हैं जिला अस्पताल जिला जेल में पदस्थ कर्मचारी पैसा लेकर कुछ भी कर देते हैं। जब कोई बंदी जेल पहुंचता है तो वहां पदस्थ कर्मचारी बंदी के पास तत्काल पहुंच जाता है। उसको (janjgir crime) कहा जाता है कि पैसा तो तत्काल कुछ दिन के लिए जिला अस्पताल भेज देंगे। पैसा दिए फिर आसानी से जिला अस्पताल में आराम फरमा सकते हैं। इसका किसी पर कोई दबाव नहीं है।