सरकार द्वारा भले ही स्वास्थ्य सुविधा में लगाकार विस्तार किया जा रहा है। ताकी अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इसका फायदा मिल सकेगा। खासकर गरीब तबके के लोगों को सुविधा ज्यादा से ज्यादा मिल सके। साथ ही सरकार द्वारा 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधा देने की बात कही जाती है। लेकिन इसका पालन जिला अस्पताल में नहीं हो रहा है। जिला अस्पताल में ब्लड, शुगर, डेंगू, जेई, हीमोग्लोबीन, चिकनगुनिया, मलेरिया, किडनी प्रोफाइल, यूरिन, टीबी, एचआइवी सहित 68 प्रकार की जांच होती है। सामान्य तौर पर प्रतिदिन करीब 150 लोगों की जांच की जाती है। 1 बजे पैथालाजी बंद हो जाती है। इसमें कई बार मरीजों को रिपोर्ट मिलने में भी दिक्कत होती है।
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इसके बाद अगर कोई मरीज जिला अस्पताल में आता है तो उसे प्राइवेट लैब में पैसा खर्च कर जांच करानी पड़ती है। जिला अस्पताल पहुंचे मरीजों की समय में जांच नहीं होने से मौत भी हो रही है। इसके बावजूद जिम्मेदार कोई सरोकार नहीं है। दो माह पहले अंशुमाली राठौर अपने पिता को एक्सीडेंट होने पर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे। जहां डॉक्टरों ने एक्सरे व सिटी स्कैन कराने की बात कही। अंशुमाली राठौर जिला अस्पताल के पैथौलॉजी पहुंचे, जहां देखा तो ताला बंद था। जल्द से जल्द सिटी स्कैन हो जाने की बात डॉक्टरोें से कही, लेकिन जिला अस्पताल में सिटी स्कैन नहीं हो सकी। मजबूरन अंशुमाली राठौर को बाहर निजी अस्पताल जाना पड़ा।
शहर में बड़ी संख्या में पैथालाजी धड़ल्ले से संचालित है। जिस पर मरीजों और तीमारदारों की पूरे दिन भीड़ लगी रहती है। एक ओर जिला अस्पताल से रिपोर्ट मिलने में विलंब तो दूसरी ओर 1 बजे के बाद अस्पताल में जांच की सुविधा नहीं होने के कारण प्राइवेट पैथालाजी की चांदी रहती है।
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जिला प्रशासन को नहीं कोई सरोकारजिले के सबसे बड़े अस्पताल जिला अस्पताल में सुविधा के अलावा स्टाफ की बढ़े है। इसके बावजूद डॉक्टरों की मनमानी के कारण जिला अस्पताल में मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। पिछले महीनों से सोनोग्राफी के डॉक्टर नहीं है, सप्ताह भर में एक दिन जांच होती थी। गर्भवती महिलाएं भटकती रहती है। इसके अलावा जचकी वार्ड में डॉक्टरों की मनमानी आए दिन सामने आती रहती है। फिर भी जिला प्रशासन को जिला अस्पताल में व्यवस्था बनाने के लिए कोई मतलब ही नहीं है। जिला अस्पताल में व्यवस्था को लेकर झांकने तक की फुर्सत कलेक्टर को नहीं है। पहले कलेक्टर रहे सोनमणी बोरा, ब्रजेश चंद्र मिश्रा, ओपी चौधी सहित अन्य कलेक्टर माह में एक बार निरीक्षण करने पहुंच ही जाते थे। इससे सब ठीक ठाक चल रहा था। वर्तमान में कलेक्टर को जिला अस्पताल का निरीक्षण करने की फुर्सत ही नहीं है। इससे कर्मचारी बेलगाम हो गए हैं।
सिविल सर्जन डॉ. अनिल जगत का कहना है कि लैब 24 घंटे नहीं खुलता है। लैब टेक्नीशियन कमी के कारण 24 घंटे खुल पाना संभव नहीं है। इमरजेंसी में गंभीर मरीज आने पर जिसकी जांच बहुत आवश्यक होती है। व्यवस्था बनाई जाती है।