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जांजगीर चंपा

एक ओर बनवा रहे आयुष्मान कार्ड तो दूसरी ओर मुफ्त इलाज करते जा रहे बंद

एक ओर आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए जोर-शोर से अभियान चलाया जा रहा है। च्वाइस सेंटरों से लेकर स्कूलों में कैंप लगाकर धड़ल्ले से आयुष्मान कार्ड बना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर योजना के तहत मिलने वाली इलाज के दायरे को कम किया जा रहा है। योजना के तहत निजी अस्पतालों में अब सिजेरियन प्रसव भी नहीं होंगे।

जांजगीर चंपाAug 24, 2022 / 08:37 pm

Anand Namdeo

एक ओर बनवा रहे आयुष्मान कार्ड तो दूसरी ओर मुफ्त इलाज करते जा रहे बंद

एक ओर बनवा रहे आयुष्मान कार्ड तो दूसरी ओर मुफ्त इलाज करते जा रहे बंद

जांजगीर-चांपा. शासन ने इसे अपने पैकेज से हटा दिया है। जबकि नार्मल प्रसव तो पहले से ही हटा दिया गया था। अब केवल सरकारी अस्पतालों में ही आयुष्मान कार्ड और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत सिजेरियन प्रसव और नार्मल प्रसव मुफ्त में होंगे। इससे निजी अस्पतालों में अब पैसे देकर सिजेरियन प्रसव या नार्मल प्रसव कराना होगा जिससे गर्भवती महिलाओं के परिजनों की समस्या बढ़ गई है। अब अगर निजी अस्पतालों में जाकर सिजेरियन प्रसव कराते हैं तो आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भी तत्काल भुगतान करना होगा तभी इलाज होगा। इससे गर्भवती महिलाओं व परिजनों की परेशानी बढ़ गई है। सीएमएचओ डॉ. आरके सिंह ने बताया कि निजी अस्पतालों से सिजेरियन प्रसव का पैकेट हटा दिया गया है। सरकारी अस्पतालों में अभी भी योजना के तहत मुफ्त में हितग्राही इसका लाभ ले सकते हैं।
अचानक आए आदेश से बढ़ी परेशानी
इस संबंध में १५ अगस्त को आदेश जारी हुआ है। ऐसे में १६ अगस्त से निजी अस्पतालों में योजना के तहत सिजेरियन प्रसव नहीं किया जा रहे हैं। ऐसे में परिजनों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। कई लोग भटकने मजबूर हो रहे हैं। क्योंकि जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सिजेरियन प्रसव करने लायक सुविधा ही नहीं है। जिला अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं जिससे यहां भी दबाव बढ़ रहा है। लोगों को निजी अस्पतालों में जाने के बाद पता लग रहा है अब आयुष्मान कार्ड से मुफ्त में प्रसव होना बंद कर दिया गया है।
१६६ प्रकार के इलाज पहले से बंद
गौरतलब हे कि शासन की ओर से आयुष्मान कार्ड से दांत, आंख समेत १६६ प्रकार के बीमारियों का इलाज पहले से ही हटा दिया गया है और केवल सरकारी अस्पतालों के लिए रिजर्व कर दिया गया है। इसमें सिजेरियन डिलवरी भी अब शामिल हो गई है। इससे लोगों में आक्रोश है कि शासन ५० से ५ लाख तक मुफ्त इलाज की बात कहती है लेकिन यहां १५ से २० हजार रुपए तक का इलाज नहीं हो रहा।

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