यह बीमारी वायरस इंफेक्शन की वजह से होती है। इसके वायरस सक्रिय होने का समय वैसे तो जनवरी-फरवरी माना जाता है पर मौसम परिवर्तन के चलते वर्तमान में भी इसका प्रकोप अब भी देखने को मिल रहा है। यह सक्रमण किसी भी उम्र के बच्चों में फैल सकता है, पर इम्युनिटी पावर कमजोर होने पर विशेष कर बच्चों व वरिष्ठजनों को ज्यादा घेरता है। चूंकि यह वायरस फैलने वाला है, लिहाजा एक से दूसरे में तेजी से फैलता है।
यही वजह है कि इस संक्रमण से ग्रसित को भीड़भाड़ वाली जगहोें में जाने से बचना होगा, ताकि औरों में इसका संक्रमण न फैलने पाए। दूसरी ओर स्वस्थ्यों को भी संक्रमित से दूरी बना कर चलना होगा। उचित देखभाल और डॉक्टरों से परामर्श पर हफ्ते दिनभर के भीतर आसानी से आराम मिल जाता है। हालांकि गले के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में होने और समय पर इलाज नहीं कराने पर कई बार समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में इलाज में समय ज्यादा लग सकता है और संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।
सिविल सर्जन डॉ. अनिल जगत ने कहा कि वर्तमान में बच्चों में इसका संक्रमण ज्यादा दिखाई दे रहा है। जो इस संक्रमण की चपेट में आ गया है, वे भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें, ताकि औरों में इसका संक्रमण न फैलने पाए। जिन्हें यह संक्रमण नहीं है, उन्हें भी इसका ध्यान रखना होगा कि वे ऐसे मरीजों से दूरी बना कर चलें। संक्रमित स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखें, वहीं डॉक्टर के माध्यम से समुचित इलाज लें। ज्यादा से ज्यादा गुनगुना पानी पीए, दिनभर में कई बार गरम पानी में नमक डालकर गरारे कराने से भी राहत मिलती है।
टीके से रोकथाम इस सक्रमण से बचने बच्चों को 9 माह, 15 माह व 5 वर्ष की उम्र में तीन टीके लगते हैं। बचपन में जिन्हें से टीके नहीं लगे, उन्हें इसके वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। सक्रमण फैलने पर इसे ठीक करने मेडिसिन चलती है, फिर भी इसके पूरी तरह से ठीक होने में 12 से 14 दिन लग जाते हैं। एक बार इससे स्वस्थ हो जाने के बाद दोबारा संक्रमित होने का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है।